अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष का संवैधानिक अधिकार, इस पर कांग्रेस की तैयारी अधूरी : सुरेश पुजारी

भुवनेश्वर, 24 जुलाई . कांग्रेस पार्टी की ओडिशा इकाई कथित तौर पर राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए बीजू जनता दल (बीजद) का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रही है. इस घटनाक्रम ने तमाम तरह की राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दे दिया है.

इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए ओडिशा सरकार के राजस्व मंत्री सुरेश पुजारी ने कहा, “अगर कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहती है तो उन्हें ऐसा करने का पूरा अधिकार है. लेकिन, बीजद को इसमें शामिल करने की कोशिश कांग्रेस की तैयारी की कमी को दर्शाती है.”

उन्होंने कहा अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष को संविधान द्वारा दिया गया एक अधिकार है. अगर वे चाहें तो State government की वर्तमान स्थिति के खिलाफ ‘अविश्वास प्रस्ताव’ लाने के लिए स्वतंत्र हैं. State government को बने हुए अभी सिर्फ़ एक साल और तीन महीने हुए हैं. दूसरी ओर कांग्रेस ने राज्य पर 40 साल तक राज किया है. मेरे पास उनके लिए एक समझदारी भरा सुझाव है कि उन्हें पूरी तैयारी के साथ अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहिए. मुझे लगता है कि हम किसी भी तरह के प्रस्ताव के लिए तैयार हैं.

सुरेश पुजारी ने ठोस योजना के अभाव के लिए कांग्रेस की आलोचना की और आरोप लगाया कि पार्टी वास्तविक विधायी कार्रवाई के बजाय नाटकबाजी का सहारा ले रही है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, “हम विधानसभा में किसी भी प्रस्ताव का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. लेकिन अगर कांग्रेस चाहती है कि उसे गंभीरता से लिया जाए, तो उसे ठोस तथ्य और तर्क देने चाहिए. अन्यथा, इसका उल्टा असर होगा.”

उन्होंने आगे कहा कि भाजपा सरकार पारदर्शी तरीके से काम कर रही है और पिछले एक साल में ओडिशा के विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. पुजारी ने जोर देकर कहा, “विधानसभा में इस पर बहस होनी चाहिए. ओडिशा की जनता को यह तय करने दीजिए कि राज्य की प्रगति के लिए कौन सचमुच काम कर रहा है.”

छत्तीसगढ़ के साथ महानदी विवाद पर मंत्री सुरेश पुजारी ने कहा कि ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच जल विवाद को सुलझाने के लिए हम छत्तीसगढ़ सरकार के संपर्क में हैं. हमारे Chief Minister भी केंद्र सरकार के संपर्क में हैं और पिछले डेढ़ साल से हम महानदी में पानी छोड़े जाने के संबंध में छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में हैं, जिसमें एक राज्य से दूसरे राज्य में पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने वाले नियमों को ध्यान में रखा जाता है.

एकेएस/जीकेटी