दंतेवाड़ा, 24 जुलाई . छत्तीसगढ़ में माओवादियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में बड़ी सफलता मिली है. Thursday को दंतेवाड़ा जिले में 15 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया. इनमें से पांच माओवादियों पर कुल 17 लाख रुपए का इनाम घोषित था. यह आत्मसमर्पण बस्तर क्षेत्र में चलाए जा रहे ‘लोन वर्राटू’ और ‘पुना मार्गेम’ ऑपरेशन के तहत एक बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है.
वरिष्ठ Police अधिकारी उदित पुष्कर ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वालों में शामिल बुधराम उर्फ लालू कुहराम पर 8 लाख रुपए का इनाम था. कमली उर्फ मोटी पोटावी पर 5 लाख, पोज्जा मड़कम पर 2 लाख रुपए का इनाम घोषित था. इसके अलावा, दो महिला माओवादी आयते उर्फ संगीता सोडी और माडवी पांडे ने भी आत्मसमर्पण किया है, जिन पर एक-एक लाख रुपए का इनाम था.
Police अधिकारी ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले बुधराम और कमली दोनों Naxalite गतिविधियों में पिछले दो दशकों से सक्रिय थे और कई हिंसक घटनाओं में शामिल रहे हैं.
माओवादियों ने Police अधीक्षक गौरव राय, डीआईजी कमलोचन कश्यप और केंद्रीय रिजर्व Police बल (सीआरपीएफ) के अधिकारी राकेश चौधरी की उपस्थिति में आत्मसमर्पण किया. अधिकारियों ने पुनर्वास के लिए Government की प्रतिबद्धता दोहराई.
राज्य Government की संशोधित नीति के तहत आत्मसमर्पित नक्सलियों को कौशल विकास प्रशिक्षण, स्वरोजगार सहायता, मानसिक परामर्श और सुरक्षा की गारंटी दी जाती है. इन पहलों के तहत अब तक 1,020 Naxalite हथियार छोड़ चुके हैं, जिनमें 254 इनामी Naxalite शामिल हैं. आत्मसमर्पण करने वाले Naxalite दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिलों से हैं, जिनमें 824 पुरुष और 196 महिलाएं शामिल हैं.
‘लोन वर्राटू’ अभियान 5 साल पहले 2020 में शुरू किया गया था. इसका उद्देश्य माओवादियों को हिंसा छोड़ने और नागरिक समाज में फिर से शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना है. स्थानीय गोंडी भाषा के शब्द ‘लोन वर्राटू’ का अर्थ ‘घर वापस आओ’ होता है. ‘पुना मार्गेम’ अभियान भी इसी पहल का हिस्सा है.
अधिकारियों ने इस सफलता का श्रेय निरंतर संपर्क, सामुदायिक जुड़ाव और नक्सलियों के बीच सशस्त्र संघर्ष की निरर्थकता की बढ़ती समझ को दिया. कई माओवादियों ने आंतरिक शोषण, जंगलों की कठिन परिस्थितियों और आदर्शवादी मोहभंग को आत्मसमर्पण का कारण बताया. प्रशासन ने शेष नक्सलियों से भी मुख्यधारा में लौटने की अपील की है और कहा कि शांति, गरिमा और विकास उनका इंतजार कर रहे हैं.
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डीसीएच/