केरल : निलंबित आईएएस अधिकारी प्रशांत की बढ़ी मुश्किलें, विजयन सरकार ने दिया जांच का आदेश

तिरुवनंतपुरम, 24 जुलाई . पिनराई विजयन के नेतृत्व वाली Government ने निलंबित आईएएस अधिकारी एन. प्रशांत के खिलाफ एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी द्वारा जांच के आदेश दिए हैं. यह जांच अतिरिक्त मुख्य सचिव राजन कोबोर्गडे करेंगे और उन्हें तीन महीने में जांच पूरी करने को कहा गया है.

दरअसल, निलंबन नोटिस पर प्रशांत का जवाब संतोषजनक नहीं पाए जाने के बाद जांच के आदेश दिए गए हैं.

2007 बैच के आईएएस अधिकारी एन. प्रशांत को पिछले साल नवंबर में निलंबित किया गया था. उन्होंने वरिष्ठ नौकरशाहों, जैसे अतिरिक्त मुख्य सचिव ए. जयतिलक, आईएएस अधिकारी के. गोपालकृष्णन (2013 बैच), और हाल ही में रिटायर्ड हुईं मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन पर गंभीर आरोप लगाए थे.

आम तौर पर नियम यह है कि जब किसी आईएएस अधिकारी को निलंबित किया जाता है, तो छह महीने के भीतर जांच कर रिपोर्ट जमा होनी चाहिए, लेकिन प्रशांत के मामले में ऐसा नहीं हुआ. 9 महीने बाद जांच की घोषणा हुई है और इस बीच उनका निलंबन तीन बार बढ़ाया गया.

हालांकि, मुख्य सचिव जयतिलक और उनके अधीनस्थ अधिकारी राजन कोबोर्गडे द्वारा जांच की निष्पक्षता पर कुछ लोगों ने सवाल उठाए हैं. प्रशांत ने कोझिकोड जिला कलेक्टर के रूप में अपने काम से कई लोगों का दिल जीता था और social media पर उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग है.

पिछले साल नवंबर में उनके निलंबन को लेकर विवाद एक जांच रिपोर्ट के इर्द-गिर्द था, जिसे कथित तौर पर ए. जयतिलक ने तैयार किया था. इस रिपोर्ट में प्रशांत पर उन्नति परियोजना से जुड़े दस्तावेजों के गायब होने, उनकी उपस्थिति रजिस्टर में अनियमितताओं और social media पर अपमानजनक पोस्ट के जरिए सेवा आचरण के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था, जब वह सीईओ थे.

प्रशांत ने हमेशा दावा किया है कि उनके खिलाफ मामला अविश्वसनीय डिजिटल सबूतों पर आधारित है और इसमें प्रक्रियात्मक व कानूनी वैधता की कमी है.

उन्होंने अपने निलंबन के लिए जयतिलक और गोपालकृष्णन पर भी निशाना साधा.

प्रशांत की एक और हरकत ने वरिष्ठ अधिकारियों को नाराज किया है, और वह है उनकी social media पोस्ट के जरिए बार-बार बयानबाजी. यहां तक कि पूर्व मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन के साथ उनकी निजी सुनवाई को भी उन्होंने सार्वजनिक कर दिया था.

एफएम/