देश के आर्थिक विकास में केंद्र और आरबीआई दो महत्वपूर्ण इंजन, एनपीए कम करने में मिलकर अहम भूमिका निभाई : अर्थशास्त्री

New Delhi, 23 जुलाई . पब्लिक सेक्टर बैंक के ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) घटने को अर्थशास्त्रियों ने Wednesday को आरबीआई और केंद्र का सामूहिक प्रयास बताया.

अर्थशास्त्री पंकज जायसवाल ने न्यूज एजेंसी से कहा, “एनपीए में सुधार आरबीआई और केंद्र दोनों के ही प्रयासों से संभव हो पाया है. इस क्रम में केंद्रीय बैंक और केंद्र Government एक दूसरे के पूरक रहे. आरबीआई और केंद्र ने मिलकर एक ही दिशा में काम किया.”

उन्होंने आगे कहा कि वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के बयान के अनुसार, एनपीए में गिरावट आई है और 2025 में यह घटकर 2.58 प्रतिशत तक आ गया है. यह केंद्र Government की बहुत बड़ी उपलब्धि है.

उन्होंने दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) को लेकर कहा, “आज से 10 साल पहले एनपीए बहुत ज्यादा था. साथ ही उद्योग सेक्टर में बहुत सारे खाते स्ट्रेस में चले गए थे और एवर-ग्रीनिंग का एक कल्चर आ गया था, जिसे एनडीए की Government ने खत्म किया. Government ने आईबीसी पेश करने के साथ रिसॉल्यूशन का काम किया. Government ने स्ट्रेस में जाती किसी भी कंपनी को उठाने के लिए रिसॉल्यूशन प्लान पेश किया.”

जायसवाल ने कहा कि आईबीसी ने फुल डिफॉल्टर्स और प्रमोटर को प्रबंधन से बाहर करने का काम किया. एनपीए से डील करने के लिए Government की अप्रोच फोक्स्ड रही. Government ने पारदर्शिता के साथ काम किया.

केंद्रीय बैंक को लेकर उन्होंने कहा, “आरबीआई ने ‘एसेट क्वालिटी रिव्यू’ का प्रोविजन पेश किया, जिसकी बैंक में किसी लोन के एनपीए की तरफ बढ़ने को रोकने के लिए अहम भूमिका रही. केंद्रीय बैंक ने ब्रांच स्तर पर भी स्ट्रेस्ड एसेट्स की मॉनीटरिंग करना सुनिश्चित किया. सभी सम्मिलित प्रयासों की बदौलत ही एनपीए में गिरावट दर्ज की गई.”

पब्लिक सेक्टर बैंक को लेकर हुए सुधार पर जायसवाल ने कहा, “एनडीए के शासन काल में अब प्राइवेट बैंक के तर्ज पर ही पब्लिक सेक्टर बैंक को तैयार किया जा रहा है. बैंक के फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाया जा रहा है. पब्लिक सेक्टर बैंक के बिजनेस मॉड्यूल में सुधार लाया जा रहा है. बैंकों की टेक्नोलॉजी अपग्रेड की गई है.”

उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि अब लोन देने से पहले रिव्यू किया जाता है. व्यक्ति का पोटेंशियल देखा जाता है. लोन देने से पहले व्यक्ति की पूरी क्रेडिट हिस्ट्री देखी जाती है. इस तरह लोन देने और इसे मॉनिटर करने की प्रक्रिया में बदलाव आया है.

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