नीमच, 22 जुलाई . मध्य प्रदेश के नीमच जिले में अब विद्यार्थी सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं हैं, वे समाज की पीड़ा को भी समझ रहे हैं और उसे शब्दों में ढालकर प्रशासन तक पहुंचा रहे हैं. जिला कलेक्टर हिमांशु चंद्रा की अभिनव पहल ने छात्रों को सामाजिक सरोकार से जोड़ दिया है.
इस पहल के तहत स्कूली छात्र अब हर Tuesday जनसुनवाई में आने वाले जरूरतमंद आवेदकों के लिए आवेदन लिखते हैं, जिससे न सिर्फ पीड़ितों की मदद हो रही है, बल्कि छात्रों का भी सामाजिक और व्यावहारिक ज्ञान बढ़ रहा है.
नीमच के कलेक्टर हिमांशु चंद्रा की एक छोटी सी सोच अब शिक्षा और सेवा का बड़ा माध्यम बन गई है. नवंबर 2024 से प्रारंभ की गई इस पहल में सरकारी और निजी स्कूलों के छात्र-छात्राओं को जनसुनवाई में बैठने का मौका मिलता है, ताकि वे जरूरतमंद, अशिक्षित या असहाय लोगों के आवेदन लिख सकें.
इससे पहले तक फरियादी आवेदन टाइपिंग कराने के लिए 200 से 400 रुपए तक खर्च करते थे, लेकिन अब यह काम फ्री में हो रहा है. यह न केवल आर्थिक रूप से गरीबों को राहत दे रहा है, बल्कि छात्रों के लिए भी यह अनुभव जुटाने का माध्यम बन गया है.
छात्रों को अब समझ आने लगा है कि एक आवेदन केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि किसी की पीड़ा, उम्मीद और अधिकार की मांग है. वे जान रहे हैं कि किस प्रकार शासकीय योजनाएं आम जन तक पहुंचती हैं और प्रशासन उस पर कार्रवाई करता है.
उत्कृष्ट विद्यालय नीमच की शिक्षिका कविता सेन ने बताया, “हर Tuesday को पांच बच्चों को यहां जनसुनवाई में लेकर आती हूं. यहां शासन ने बेहतर सुविधा रखी है. यहां आने वाले फरियादी में अधिकांश अशिक्षित होते हैं. उन्हें आवेदन लिखने में समस्या आती है. ऐसे में यहां बच्चे उनके आवेदन फ्री में लिखते हैं. इससे बच्चों का भी व्यावहारिक ज्ञान बढ़ता है और लेखन शैली विकसित होती है.”
छात्र विनायक शर्मा ने बताया, “हमें यहां हर Tuesday को बुलाया जाता है. हम फरियादियों की मदद करते हैं और कोई शुल्क नहीं लेते हैं. यहां काफी कुछ सीखने को मिल रहा है. समाज की समस्याओं से हम अवगत हो रहे हैं, जो आगे भी हमारी मदद करेंगी. हम किसी भी प्रकार का आवेदन लिख सकते हैं.”
नीमच के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सीआरपीएफ के छात्र मो. उस्मान अब्बासी ने बताया, “मैं पिछले एक साल से आवेदन लिखने आ रहा हूं. कलेक्टर हिमांशु चंद्रा ने बहुत अच्छी पहल की है. ग्रामीणों को होने वाली समस्याओं का हम समाधान करते हैं. लोग अलग-अलग समस्या लेकर आते हैं. हम आवेदन लिखकर उनकी मदद करते हैं. उन्हें हम बताते हैं, कैसे टोकन लेना है, कहां जाना है और कहां आवेदन देना है.”
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एससीएच/एबीएम