एक छोटे से गांव से लेकर उपराष्ट्रपति तक… जगदीप धनखड़ का सफर

New Delhi, 21 जुलाई . अनुभवी वकील और Political हस्ती जगदीप धनखड़ ने 2022 से 21 जुलाई 2025 को अपने इस्तीफे तक India के 14वें उपPresident के रूप में कार्य किया. उन्होंने Monday को स्वास्थ्य आधार पर उपPresident पद से इस्तीफा दे दिया. उनका कार्यकाल छोटा था. उन्हें संसदीय प्रक्रियाओं पर दृढ़ पकड़ और तीक्ष्ण कानूनी कुशाग्रता के लिए जाना जाता था. वे अपने पूरे सार्वजनिक जीवन में राष्ट्रीय मुद्दों से सक्रिय रूप से जुड़े रहे.

Rajasthan के ग्रामीण इलाके से India के सर्वोच्च संवैधानिक पदों में से एक तक जगदीप धनखड़ का सफर, दृढ़ता, बहुमुखी प्रतिभा और जनसेवा की कहानी है. वे चार दशकों से भी ज्यादा समय से सार्वजनिक जीवन में हैं.

18 मई, 1951 को Rajasthan के झुंझुनू जिले के एक छोटे से गांव किठाना में जन्मे जगदीप धनखड़ एक साधारण किसान परिवार से हैं. उन्हें अक्सर ‘किसान पुत्र’ कहा जाता है और यही पृष्ठभूमि भाजपा ने बाद में उनके उपPresident पद के नामांकन के दौरान अपने Political संदेश में भी उजागर की.

उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल से पूरी की, जो कई उल्लेखनीय सैन्य और सार्वजनिक सेवा हस्तियों को तैयार करने के लिए जाना जाता है. बाद में उन्होंने Rajasthan विश्वविद्यालय, jaipur से विज्ञान स्नातक की उपाधि प्राप्त की और उसी विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की.

धनखड़ ने 1979 में Rajasthan बार काउंसिल में पंजीकरण के बाद अपनी वकालत शुरू की. एक कुशल कानूनी विशेषज्ञ के रूप में उनकी प्रतिष्ठा तेजी से बढ़ी. 1990 में उन्हें Rajasthan हाई कोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता नियुक्त किया गया और वे राज्य के सबसे प्रतिष्ठित कानूनी पेशेवरों में से एक बन गए.

उन्होंने कई उच्च न्यायालयों और India के सर्वोच्च न्यायालय में वकालत की, जहां उन्होंने विभिन्न प्रकार के मामलों की पैरवी की. धनखड़ को Rajasthan उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. इस भूमिका ने विधिक समुदाय में उनकी प्रतिष्ठा को और मजबूत किया.

उन्होंने 1989 में झुंझुनू से जनता दल के टिकट पर Lok Sabha चुनाव जीतकर राजनीति में प्रवेश किया. संसद में उनकी स्पष्ट वकालत ने उन्हें जल्द ही मंत्री पद दिला दिया. 1990 में Prime Minister चंद्रशेखर के कार्यकाल में उन्हें संसदीय कार्य राज्य मंत्री नियुक्त किया गया.

उन्होंने Government और विधानमंडल के बीच महत्वपूर्ण समन्वय का कार्यभार संभाला. बाद में उन्होंने 1993 से 1998 तक Rajasthan विधानसभा के सदस्य के रूप में किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया.

धनखड़ Political रूप से सक्रिय रहे और जनता दल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) और अंततः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित कई दलों से जुड़े रहे.

जुलाई 2019 में धनखड़ को पश्चिम बंगाल का Governor नियुक्त किया गया था. इस पद पर रहते हुए वे राज्य में Political उथल-पुथल के केंद्र में रहे. उनके कार्यकाल के दौरान ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) Government के साथ संघवाद, विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों और कानून-व्यवस्था के मुद्दों पर उनका लगातार टकराव हुआ.

उनके आलोचकों ने उन पर संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाया. हालांकि, धनखड़ ने जोर देकर कहा कि वह लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए काम कर रहे थे.

16 जुलाई, 2022 को भाजपा ने उपPresident पद के लिए धनखड़ को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का उम्मीदवार घोषित किया. 6 अगस्त, 2022 को हुए उपPresident चुनाव में धनखड़ ने विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 710 वैध मतों में से 528 मतों से हराया, और 74.37 प्रतिशत मत हासिल किए, जो 1992 के बाद से जीत का सबसे बड़ा अंतर है. उनके चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया और उसके केवल दो सदस्यों ने ही मतदान किया.

उपPresident के रूप में धनखड़ ने राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में भी कार्य किया, जहां उन्होंने कई महत्वपूर्ण विधायी सत्रों की अध्यक्षता की. संसदीय नियमों के प्रति अपने कठोर पालन और स्पष्ट दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध धनखड़ को सभी दलों में समान रूप से सम्मान और चुनौती मिली.

डीकेपी