मानसून सत्र के पहले दिन राज्यसभा से ‘बिल्स ऑफ लैडिंग 2025’ विधेयक पास

New Delhi, 21 जुलाई . मानसून सत्र के पहले दिन राज्यसभा ने ‘बिल्स ऑफ लैडिंग 2025’ विधेयक पारित कर दिया. Union Minister सर्बानंद सोनोवाल द्वारा उच्च सदन में पेश किया गया यह विधेयक India के समुद्री क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है.

Lok Sabha से पहले ही पास हो चुका यह विधेयक अब कानून बनने के लिए President की मंजूरी का इंतजार कर रहा है. अधिनियमित होने के बाद यह India में समुद्री नौवहन दस्तावेजीकरण के लिए 169 साल पुराने औपनिवेशिक काल के भारतीय मालवहन अधिनियम 1856 की जगह एक आधुनिक, सरलीकृत और वैश्विक रूप से संरेखित कानूनी ढांचा स्थापित करेगा.

Union Minister सर्बानंद सोनोवाल ने विधेयक को सदन में पेश करते हुए कहा, “आज जब हम यहां एकत्रित हैं तो हमें अपने दूरदर्शी और ऊर्जावान Prime Minister Narendra Modi जी की याद आ रही है, जिन्होंने हमारे राष्ट्र के लिए एक गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है, 2047 तक India को एक विकसित देश या विकसित India में बदलना. यह दृष्टिकोण केवल आकांक्षापूर्ण नहीं है, यह एक कार्य आह्वान है, जो हमें अपने प्रयासों और आकांक्षाओं को एक नए और समृद्ध India के निर्माण के वादे के साथ जोड़ने का आग्रह करता है. Prime Minister के शब्दों में India को अपनी प्रणालियों में सुधार लाने और अपने भविष्य को बदलने के लिए गति और पैमाने के साथ कार्य करना चाहिए.”

नया कानून पुरानी शब्दावली के स्थान पर स्पष्ट और व्यापार अनुकूल भाषा का प्रयोग करता है, जिससे वाहकों, पोत वाहकों और वैध धारकों के अधिकारों और दायित्वों को सुव्यवस्थित किया जाता है, मुकदमेबाजी के जोखिम को कम करने के लिए शिपिंग दस्तावेजों में अस्पष्टता को कम किया जाता है, साथ ही अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के साथ तालमेल बिठाकर वैश्विक व्यापार में India की स्थिति को मजबूत किया जाता है.

उन्होंने आगे बोलते हुए कहा , “आज जब हम भारतीय संविधान को अपनाए जाने के 76वें वर्ष पर विचार कर रहे हैं तो यह औपनिवेशिक और संविधान पूर्व विरासतों के अवशेषों को त्यागने का सही समय है, जो हमारी प्रगति में बाधा डालते हैं. ‘स्वर्णिम भारत’ को एक ऐसे कानून की आवश्यकता है, जो समसामयिक हो, हमारे अपने लोगों द्वारा निर्मित हो और आधुनिक युग की चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम हो.”

यह विधेयक पुराने कानून का नाम बदलकर India के औपनिवेशिक अतीत से एक निर्णायक कदम का प्रतीक है. यह कानूनी भाषा को सरल बनाता है, जटिल प्रावधानों का पुनर्गठन करता है और एक सक्षमकारी खंड प्रस्तुत करता है, जो केंद्र Government को प्रभावी कार्यान्वयन के लिए निर्देश जारी करने का अधिकार देता है.

सर्बानंद सोनोवाल ने सदन के सदस्यों से विधेयक पारित करने का आह्वान करते हुए कहा, “द बिल्स ऑफ लैडिंग, 2025 विधेयक हमारे संवैधानिक मूल्यों को दर्शाता है और पुराने औपनिवेशिक कानूनों को एक आधुनिक, सुलभ ढांचे से बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. जैसे-जैसे हमारा समुद्री क्षेत्र तेजी से विस्तार कर रहा है, यह सुधार व्यापार को आसान बनाएगा, विवादों को कम करेगा और India की वैश्विक व्यापार स्थिति को मजबूत करेगा.

डीकेपी