सावन विशेष : ‘जगन्नाथ की नगरी’ पुरी का मार्कण्डेश्वर मंदिर, जहां समंदर के कोप से भोलेनाथ ने की थी भक्त की रक्षा

पुरी, 20 जुलाई . सावन के पवित्र महीने में भक्तगण भगवान शिव की भक्ति में डूबे हुए हैं. देशभर के शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ है. भगवान जगन्नाथ की नगरी पुरी में मार्कण्डेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है. यह मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी खास है, जहां भगवान शिव ने अपने भक्त मार्कंडेय को समुद्र के कोप से बचाया था.

पुरी, हिंदुओं के चार धामों में से एक, अपने राजसी इतिहास और तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व की विरासत के लिए जाना जाता है.

मार्कण्डेश्वर मंदिर पुरी के पांच प्रमुख शिव मंदिरों में से एक है और शिव पूजा के 52 पवित्र स्थानों में शामिल है. मंदिर का प्रवेश द्वार दस भुजाओं वाले नटराज की भव्य मूर्ति से सजा है. मंदिर के निचले हिस्से में भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश की छोटी-छोटी मूर्तियां जटिल नक्काशी के साथ स्थापित हैं. मंदिर के कोनों में शिव के विभिन्न अवतारों के छोटे मंदिर भी हैं.

यही नहीं, मंदिर के पास ही मार्कंडेय सरोवर भी है, जिसे पुरी के पंच तीर्थों में गिना जाता है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऋषि मार्कंडेय ने इस स्थान पर साधना की थी. एक बार समुद्र के कोप से उनकी जान खतरे में थी, तब भगवान शिव ने उनकी रक्षा की. इसके बाद मार्कंडेय उसी स्थान पर शिवलिंग स्थापित कर भक्ति में लीन हो गए. यही स्थान मार्कण्डेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ.

भुवनेश्वर पर्यटन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, 12वीं शताब्दी में गंग राजवंश ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. मार्कण्डेश्वर मंदिर एक सफेद रंग की छोटी संरचना है, जिसके शीर्ष पर विस्तृत नक्काशी की गई है. यह मंदिर मार्कंडेय सरोवर (तालाब) के निकट स्थित है, जिसे पुरी तीर्थयात्रा का प्रारंभिक बिंदु माना जाता है. यह आयताकार तालाब लैटेराइट ब्लॉकों से बनी एक पत्थर की दीवार से घिरा है. यह एक खुली संरचना है, जहां अनुष्ठान के अलावा, मुंडन, पिंडदान आदि जैसे अन्य धार्मिक कर्मकांड इसी तालाब की सीढ़ियों पर किए जाते हैं.

मार्कण्डेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि, ऋषि पंचमी, संक्रांति और जन्माष्टमी जैसे त्योहार बड़े उत्साह से मनाए जाते हैं. इसके अलावा, जगन्नाथ मंदिर से जुड़े अनुष्ठान जैसे शीतल षष्ठी, चंदन यात्रा, कालियादलन और बलभद्र जन्म भी धूमधाम से आयोजित किए जाते हैं. सावन के महीने में मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ दिखती है.

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