अजमेर दरगाह में मंदिर के दावे पर सुनवाई टली, 30 अगस्त को अगली तारीख

jaipur, 19 जुलाई . अजमेर दरगाह में शिव मंदिर के दावे से जुड़े मामले की सुनवाई Saturday को टल गई. सिविल कोर्ट ने अब अगली सुनवाई के लिए 30 अगस्त की तारीख तय की है.

सुनवाई से पहले कोर्ट परिसर और सिविल लाइंस Police स्टेशन के पास अतिरिक्त Police बल तैनात किया गया था. वकील योगेंद्र ओझा ने बताया कि न्यायिक अधिकारी के अवकाश पर होने और न्यायिक कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश पर होने के कारण सुनवाई स्थगित कर दी गई.

उन्होंने कहा कि दरगाह कमेटी और अल्पसंख्यक मामलों के विभाग की ओर से पहले दिए गए आवेदन को आधिकारिक रूप से प्रस्तुत किया गया है और अगली सुनवाई में उन पर बहस की जाएगी.

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और दिल्ली निवासी विष्णु गुप्ता ने अदालत में याचिका दायर की है. उन्होंने मांग की है कि अजमेर दरगाह में मौजूद ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के परिसर में स्थित संकट मोचन शिव मंदिर में बिना किसी रुकावट के पूजा की अनुमति दी जाए.

अजमेर दरगाह समिति और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के वकीलों ने अलग-अलग आवेदन देकर कहा कि गुप्ता ने केस दायर करने से पहले जरूरी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया. गुप्ता का दावा है कि उनके पास 1250 ईस्वी में लिखा गया प्राचीन संस्कृत ग्रंथ ‘पृथ्वीराज विजय’ है, जिसमें अजमेर में शिव मंदिर के ऐतिहासिक अस्तित्व का जिक्र है.

उन्होंने अदालत में किताब को पेश करने की योजना की घोषणा की है, साथ ही इसके हिंदी अनुवाद को भी प्रस्तुत करेंगे. उन्होंने पूजा स्थल अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि अजमेर दरगाह इस कानून के दायरे में नहीं आती, क्योंकि इसे कानूनी रूप से “अधिकृत धार्मिक स्थल” के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

उन्होंने कहा कि Supreme court के वकील वरुण कुमार सेना ने पहले इस कानून पर बहस की है और वे अदालत में सबूत पेश करेंगे. सुरक्षा चिंताओं के कारण, एसपी वंदिता राणा के निर्देश पर गुप्ता को Police सुरक्षा दी गई है.

अजमेर की सिविल कोर्ट ने 27 नवंबर 2024 को गुप्ता की याचिका स्वीकार की और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, अजमेर दरगाह कमेटी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को नोटिस जारी किया. इसके बाद, कई पक्षों जैसे अंजुमन कमेटी, दरगाह दीवान गुलाम दस्तगीर अजमेर, ए. इमरान (Bengaluru) और राज जैन (होशियारपुर, पंजाब) ने इस मामले में पक्षकार बनने के लिए आवेदन दायर किए.

24 जनवरी तक इस मामले में दो सुनवाई हो चुकी हैं. अपनी याचिका में गुप्ता ने 1911 में प्रकाशित किताब ‘अजमेर: हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव’ का हवाला दिया, जिसे रिटायर्ड जज हरबिलास सारदा ने लिखा था. इस किताब में दावा किया गया है कि दरगाह के निर्माण में एक मंदिर के मलबे का इस्तेमाल हुआ था. साथ ही, यह भी कहा गया है कि दरगाह के गर्भगृह और आसपास के क्षेत्र में पहले एक जैन मंदिर था.

पीएसके/डीएससी