कॉल सेंटर्स के जरिए विदेशी नागरिकों से ठगी मामले में ईडी की कार्रवाई, 2.83 करोड़ की संपत्तियां अटैच

पटना, 18 जुलाई . कॉल सेंटर्स के जरिए विदेशी नागरिकों से ठगी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पटना जोनल ऑफिस ने बड़ा एक्शन लिया. धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के प्रावधानों के तहत केंद्रीय जांच एजेंसी ने लगभग 2.83 करोड़ रुपए मूल्य की चल और अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है.

प्रवर्तन निदेशालय ने सागर यादव और उनकी सहयोगी कंपनियों मेसर्स स्क्रैपिक्स कंसल्टेंसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स कैसानोवस रियलिटी प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े फर्जी कॉल सेंटर्स से संबंधित एक अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी मामले में 2.83 करोड़ रुपए मूल्य की चल और अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया. कुर्क की गई संपत्तियों में जमीन के टुकड़े, फ्लैट और फिक्स डिपोजिट शामिल हैं. ये दोनों कंपनियां कोलकाता में स्थित हैं.

इस मामले की जांच की शुरुआत उस समय हुई, जब आयरलैंड की नागरिक मिस कार्मेल फॉक्स से साइबर ठगी की सूचना एनसीबी आयरलैंड ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के माध्यम से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भेजी. इसके बाद ईडी ने इस मामले में ईसीआईआर दर्ज करके जांच शुरू की, क्योंकि यह मामला पीएमएलए 2002 की धारा 2(1) (आरए) में परिभाषित ‘सीमा पार संलिप्तता’ के अपराध की श्रेणी में आता था, क्योंकि अपराध एक विदेशी देश में किया गया था और बाद में अपराध से प्राप्त आय (पीओसी) भारत में स्थानांतरित कर दी गई थी.

ईडी की जांच में पता चला कि व्यक्तियों का एक ग्रुप फर्जी कॉल सेंटर के जरिए विदेशी नागरिकों के साथ साइबर धोखाधड़ी कर रहा था. साइबर धोखाधड़ी से प्राप्त रकम को वेस्टर्न यूनियन, मनीग्राम, रीवायर, रेमिटली और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए भारत लाया गया और फिर इसका इस्तेमाल लेंडेन क्लब, लेंडबॉक्स, लिक्विलोन्स आदि जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया गया.

ईडी ने सागर यादव समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. साथ ही केंद्रीय जांच एजेंसी ने सागर यादव, उनकी संस्थाओं और उनके अन्य सहयोगियों के खिलाफ अभियोजन शिकायत एवं दो पूरक अभियोजन शिकायतें दर्ज की हैं.

आगे की जांच में पता चला कि मेसर्स स्क्रैपिक्स कंसल्टेंसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स कैसानोवस रियलिटी प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर दो अचल संपत्तियां खरीदी गईं, जिनका विक्रय मूल्य पीओसी के माध्यम से चुकाया गया. इन अचल संपत्तियों की कीमत लगभग 2.67 करोड़ रुपए है और इन्हें अस्थायी रूप से कुर्क किया गया है. लगभग 15.75 लाख मूल्य की चल संपत्तियां फिक्स डिपोजिट के रूप में अटैच की गई.

डीकेपी/जीकेटी