New Delhi, 17 जुलाई . कांग्रेस नेता उदित राज ने बिहार के Chief Minister नीतीश कुमार के मुफ्त बिजली के ऐलान को चुनावी जुमला करार दिया. उन्होंने धर्मांतरण, दिल्ली की जय भीम कोचिंग योजना और एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में बदलाव जैसे मुद्दों पर भी प्रतिक्रिया दी.
से बातचीत में उदित राज ने बिहार में मुफ्त बिजली की घोषणा को “चुनावी जुमला” करार दिया और कहा कि नीतीश कुमार ने पहले विधानसभा में दावा किया था कि बिजली बिल माफी संभव नहीं है, लेकिन जब राजद और कांग्रेस ने 200 यूनिट मुफ्त बिजली की बात उठाई, तो नीतीश सरकार ने 125 यूनिट मुफ्त करने की घोषणा कर दी. भाजपा के साथ गठबंधन में नीतीश झूठ बोल रहे हैं. जैसे 2 करोड़ रोजगार और 15 लाख रुपए खातों में देने का वादा खोखला था, वैसे ही यह भी है.
उन्होंने राजस्थान में भाजपा के 500 रुपए में गैस सिलेंडर और महिलाओं को 2,500 रुपए देने के वादों को भी पूरा नहीं करने का उदाहरण दिया.
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में धर्मांतरण के मुद्दे पर उदित राज ने कहा कि यह कोई साधारण विषय नहीं है. डॉ. बीआर. अंबेडकर ने भी जातिगत भेदभाव के कारण धर्मांतरण का रास्ता चुना था. अगर कोई ईसाई या मुस्लिम, हिंदू बनना चाहे, तो उसे कौन-सी जाति स्वीकार करेगी?
उन्होंने मठों और धार्मिक संस्थानों की अकूत संपत्ति का जिक्र करते हुए कहा कि इसे शिक्षा, स्वास्थ्य और दलित-पिछड़ों के उत्थान में लगाना चाहिए. अगर मठों की संपत्ति समाज के लिए काम आए, तो धर्मांतरण रुक सकता है.
दिल्ली की पिछली अरविंद केजरीवाल सरकार की जय भीम कोचिंग योजना की जांच के आदेश पर उदित राज ने कहा कि इस योजना का कोई ठोस लाभ नहीं दिखा. 15 करोड़ रुपए की सीमा थी, लेकिन 122 करोड़ रुपए खर्च हो गए. लाभार्थियों का कोई डेटा नहीं है. कोचिंग संस्थानों ने पैसे नहीं मिलने की शिकायत की और कोचिंग बंद कर दी. यह पैसा कहां गया? लाभार्थी कहां हैं?
उन्होंने एआईएमआईएम की राजनीति पर तंज कसते हुए कहा कि उनके धार्मिक भाषण और लिबास हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण को बढ़ावा देते हैं. एआईएमआईएम जहां सक्रिय होती है, वहां पहले से धार्मिक ध्रुवीकरण शुरू हो जाता है. यह इंडिया गठबंधन की धर्मनिरपेक्ष राजनीति के लिए नुकसानदायक है.
पश्चिम बंगाल की Chief Minister ममता बनर्जी के बयान पर उदित राज ने कहा कि ममता को पहले अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की हिंसा पर ध्यान देना चाहिए, जिन्होंने कांग्रेस और वामपंथी कार्यकर्ताओं पर हमले किए, वे अब भाजपा में शामिल हो गए. ममता पहले खुद सुधार करें, तभी भाजपा को रोक पाएंगी.
कांग्रेस नेता ने एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम पर कहा कि इतिहास को सांप्रदायिक नहीं, बल्कि समग्रता में पढ़ाया जाना चाहिए. मुगलों की क्रूरता की बात होती है, लेकिन पेशवाओं के समय दलितों को गले में हांडी और कमर में झाड़ू बांधकर चलना पड़ता था. शूद्र महिलाओं को खुले में चलने के लिए मजबूर किया जाता था. यूजीपी, नीति आयोग, विश्वविद्यालयों में दलित-पिछड़ों की भागीदारी कहां है? मानसिक और शारीरिक क्रूरता आज भी जारी है. यह भी पढ़ाया जाना चाहिए.
–
एसएचके/एबीएम