दिल्ली सरकार ‘अकाल’ में मना रही ‘उत्सव’, मंत्रियों को देगी महंगे फोन : अनिल झा

New Delhi, 14 जुलाई . दिल्ली में Chief Minister से लेकर मंत्रियों तक के लिए महंगे फोन खरीदने की व्यवस्था पर आम आदमी पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. ‘आप’ नेता और विधायक अनिल झा ने कहा कि गरीब विरोधी भाजपा सरकार अकाल में उत्सव मना रही है.

उन्होंने कहा कि सरकार सीएम और मंत्रियों के लिए लेटेस्ट वर्जन का मोबाइल खरीदने जा रही है, जबकि उन्हें टेलीफोन की सुविधा पहले से मिल रही है. माया महल और रंग महल के बाद अब दिल्ली सरकार मोबाइल फोन खरीदने में दिल्लीवालों के टैक्स के लाखों रुपए बर्बाद करेगी. जबकि महिलाओं को 2500 रुपए, छात्राओं को लैपटॉप, युवाओं को नौकरी देने समेत एक भी वादा पूरा नहीं हुआ. दिल्लीवालों से किया वादा भले न पूरा हो, लेकिन भाजपा के मंत्रियों को नई कार, सिक्युरिटी, पर्दे, महंगे फोन सब चाहिए.

उन्होंने कहा कि ये लोग सरकार चलाने नहीं, बल्कि सत्ता का सुख भोगने के लिए आए हैं. जब कोई पार्टी सत्ता में आती है, तो सत्ता की हनक धीरे-धीरे उसको मुख्य बिंदुओं से ध्यान भटकाती है. सत्ता की हनक दिमाग पर कैसे चढ़ती है, यह दिल्ली सरकार के मंत्रियों और Chief Minister की कार्यशैली से साफ पता चलता है. यह ऐसा है जैसे अकाल में उत्सव मनाने की प्रक्रिया दिल्ली सरकार कर रही है.

अनिल झा ने कहा कि यह सरकार 1 लाख करोड़ रुपए का बजट लाई है, लेकिन उसमें दिल्ली की महिलाओं को 2,500 रुपए देने का वादा पूरा नहीं हुआ. बुजुर्गों की पेंशन भी बंद कर दी गई. 80 हजार महिलाओं को अपात्र बताकर उनकी पेंशन काट दी गई. निराश्रित बहनों और विधवाओं की पेंशन भी हटा दी गई. ऐसे ही गरीबों के मकानों पर बुलडोजर चल रहे हैं. अनधिकृत कॉलोनियों में बुलडोजर का खतरा मंडरा रहा है, नोटिस आ चुके हैं. कई जगह तोड़फोड़ हो रही है और अफवाहें इस कदर फैल गई हैं कि लोगों में डर का माहौल है.

उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग कह रहे हैं कि अनधिकृत कॉलोनियों में भी बुलडोजर चलने वाला है. इस बीच, दिल्ली सरकार अकाल में उत्सव मना रही है. सरकार ने वादा किया था कि 12वीं कक्षा की बच्चियों को लैपटॉप दिया जाएगा, लेकिन मिला नहीं. पेंशन नहीं मिली, ऑटो वालों को वादा किया गया पैसा नहीं मिला, 50,000 नौकरियों का वादा पूरा नहीं हुआ, डीटीसी कर्मचारियों का वादा पूरा नहीं हुआ. एमसीडी में 20-20 सालों से कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे इंजीनियरों को पक्का करने का वादा भी पूरा नहीं हुआ.

पीकेटी/एएस