New Delhi, 14 जुलाई . स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर प्रतिबंध फिलहाल बरकरार रहेगा. Supreme court ने ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. सिमी ने प्रतिबंध को पांच साल बढ़ाने के ट्रिब्यूनल के आदेश को Supreme court में चुनौती दी थी.
Monday को Supreme court के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने याचिकाकर्ता की वैधानिकता पर सवाल उठाए और याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. याचिकाकर्ता हुमाम अहमद सिद्दीकी ने यूएपीए ट्रिब्यूनल के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें केंद्र Government के 29 जनवरी 2024 के आदेश को बरकरार रखा गया.
यूएपीए ट्रिब्यूनल ने 2024 में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर India Government के प्रतिबंध को सही ठहराया था. ट्रिब्यूनल ने कहा था, “सिमी युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा से जोड़ रहा है और फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन के जरिए सक्रिय है.” ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा था कि सिमी के लश्कर-ए-तैयबा और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों से संबंध हैं.
सिमी पर देश में कई आतंकी घटनाओं में शामिल रहने का आरोप है. जनवरी 2024 में India Government ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) 1967 की धारा 3(1) के तहत सिमी पर प्रतिबंध को अगले 5 वर्षों के लिए बरकरार रखा.
एक आधिकारिक अधिसूचना में गृह मंत्रालय ने कहा, “सिमी पर राजपत्र अधिसूचना संख्या एस.ओ. 564(ई), दिनांक 31 जनवरी 2019 के माध्यम से अगले 5 वर्षों के लिए प्रतिबंध लगाया गया है.”
गृह मंत्री अमित शाह ने जानकारी देते हुए कहा था, “Prime Minister Narendra Modi की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति को बल देते हुए ‘स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी)’ को यूएपीए के तहत अगले 5 वर्षों के लिए ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित किया गया है. सिमी को India की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा पैदा करने, आतंकवाद को बढ़ावा देने, शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने में संलिप्त पाया गया है.”
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डीसीएच/