New Delhi, 14 जुलाई . नाइजीरिया के पूर्व President मुहम्मदू बुहारी का Sunday को 82 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. उनके निधन की खबर से नाइजीरिया में शोक की लहर दौड़ गई है. India के Prime Minister Narendra Modi समेत कई वैश्विक नेताओं ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है.
Prime Minister मोदी ने social media प्लेटफॉर्म एक्स पर दुख जताते हुए लिखा, “नाइजीरिया के पूर्व President मुहम्मदू बुहारी के निधन से अत्यंत दुखी हूं. मुझे विभिन्न अवसरों पर हुई हमारी मुलाकातें और बातचीत याद आती हैं. उनकी बुद्धिमत्ता, गर्मजोशी और भारत-नाइजीरिया मैत्री के प्रति अटूट प्रतिबद्धता अद्वितीय थी.”
पीएम मोदी ने आगे लिखा, “मैं India के 1.4 अरब लोगों के साथ उनके परिवार, नाइजीरिया की जनता और Government के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं.”
साल 2015 से 2023 तक नाइजीरिया के President रहे बुहारी का Sunday को लंदन में इलाज के दौरान निधन हो गया. समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, नाइजीरिया के President बोला अहमद टीनुबू ने कहा कि उन्होंने उपPresident काशिम शेट्टिमा को बुहारी के पार्थिव शरीर को नाइजीरिया वापस लाने के लिए लंदन जाने का निर्देश दिया है. साथ ही, बोला टीनूबू ने दिवंगत पूर्व नाइजीरियाई नेता के सम्मान में झंडों को आधा झुकाने का आदेश दिया है.
बता दें कि 17 दिसंबर, 1942 को जन्मे मुहम्मदू बुहारी का सैन्य और नागरिक शासन, दोनों में एक विशिष्ट करियर रहा. 2015 में President पद के लिए सफलतापूर्वक चुनाव लड़ने से पहले, वे कई वर्षों तक Political रूप से सक्रिय रहे और नाइजीरिया के इतिहास में किसी मौजूदा President को हराने वाले पहले विपक्षी उम्मीदवार बने.
2019 में उन्हें फिर से चुना गया और 29 मई, 2023 को उन्होंने टीनूबू को सत्ता सौंप दी. देश भर में आर्थिक मंदी और बढ़ती असुरक्षा के बीच, निवर्तमान President मुहम्मदू बुहारी ने दो कार्यकाल पूरे करने के बाद पद छोड़ दिया था और बोला टीनूबू President बने. President के रूप में अपने दो कार्यकालों के दौरान, मुहम्मदू बुहारी के प्रशासन ने तीन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया: सुरक्षा, भ्रष्टाचार विरोधी और आर्थिक विविधीकरण.
उन्होंने पूर्वोत्तर में बोको हराम विद्रोह के खिलाफ महत्वपूर्ण अभियान चलाए और लूटे गए सार्वजनिक धन को वापस पाने के लिए काम किया. उनके कार्यकाल में कृषि और बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने के प्रयास भी हुए, हालांकि यह दो मंदी सहित आर्थिक चुनौतियों और विभिन्न क्षेत्रों में लगातार सुरक्षा संबंधी मुद्दों से भी जूझता रहा.
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पीएसके/डीएससी