मुरादाबाद, 12 जुलाई . उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के दौरान नॉनवेज की दुकानों को बंद रखने के आदेश पर समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद एसटी हसन ने फिर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा के मार्गों पर नॉनवेज की दुकानें बंद रखने का आदेश है, लेकिन शराब की दुकानों को सिर्फ तिरपाल से ढका गया है,ये कौन सा इंसाफ है. उन्होंने सवाल पूछा कि क्या शराब से किसी का धर्म भ्रष्ट नहीं होगा?
पूर्व सांसद एसटी हसन ने समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा, “सरकार का दोहरा रवैया है. उनका फैसला न केवल असंगत है, बल्कि गरीब दुकानदारों के साथ अन्याय भी है.”
उन्होंने आगे कहा, “मेरे हिसाब से हमारे हिंदू भाइयों में मुश्किल से 30-40 फीसदी लोग ही शराब पीते होंगे, लेकिन लगभग 80 फीसदी नॉनवेज खाते हैं. ऐसे में मांस की दुकानें बंद कराना और शराब की दुकानों को चालू रखना कहां का न्याय है?”
पूर्व सांसद ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने राजस्व के लालच में यह निर्णय लिया है. एसटी हसन ने कहा, “सरकार को शराब की दुकानों से रेवेन्यू मिल रहा है, इसलिए उन्हें बंद नहीं किया गया. लेकिन गरीब होटल व मीट विक्रेताओं के लिए किसी ने नहीं सोचा, जो रोज कमाते और खाते हैं.”
सपा नेता ने मांग की कि सरकार को इस मुद्दे पर समान दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. उन्होंने कहा, “अगर धार्मिक आस्था का सम्मान करना है तो दोनों तरह की दुकानों पर समान नियम लागू हों. केवल नॉनवेज की दुकानों को बंद करना और शराब की बिक्री जारी रखना तर्कसंगत नहीं है.”
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि उन क्षेत्रों में भी मीट की दुकानें बंद कराई जा रही हैं, जहां से कांवड़ यात्रा गुजरती ही नहीं. से बात करते हुए पूर्व सांसद ने कहा, “कुछ अधिकारी सिर्फ अपनी पीठ थपथपाने के लिए पूरे शहर में मांस बिक्री पर रोक लगा रहे हैं, यहां तक कि गांवों में भी, जहां से एक भी कांवड़ नहीं निकलती है.”
पूर्व सांसद एसटी हसन ने आखिर में एक अपील करते हुए कहा, “सरकार अपने आदेशों पर पुनर्विचार करे और सभी के साथ समानता का व्यवहार करे.”
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डीसीएच