ईडी ने एरा इंफ्रा धोखाधड़ी मामले में 55.85 करोड़ रुपए की संपत्तियां बहाल की

New Delhi, 11 जुलाई . एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड से जुड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है. ईडी ने Friday को इस मामले में अपराध की आय (पीओसी) वास्तविक हकदारों को लौटाने की प्रक्रिया में 55.85 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्तियों को बहाल कर दिया.

प्रवर्तन निदेशालय ने यह जांच 12 अप्रैल 2018 को सीबीआई की ओर से दर्ज First Information Report के आधार पर शुरू की थी. यह मामला एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड, हेम सिंह भराना और अन्य के खिलाफ कई धाराओं में दर्ज किया गया था. ईडी ने 250.70 करोड़ रुपए की बैंक धोखाधड़ी करने के आरोप में जांच शुरू की थी.

एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड एक निर्माण कंपनी है, जो एयरपोर्ट्स, पावर प्रोजेक्ट्स, संस्थागत भवनों, औद्योगिक परिसरों, मॉल्स और आवासीय परियोजनाओं जैसे बुनियादी ढांचे से जुड़े काम करती है.

कंपनी ने यूको बैंक से 650 करोड़ रुपए का लोन लिया था, लेकिन जांच में पाया गया कि कंपनी ने इस लोन का एक बड़ा हिस्सा अपनी समूह कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया. इस पैसे का इस्तेमाल उन कामों में किया गया, जो लोन एग्रीमेंट का हिस्सा नहीं थे. इसके परिणामस्वरूप खाते को 7 जुलाई 2013 को एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) घोषित कर दिया गया.

मामले में ईडी ने 7 अक्टूबर 2019, 8 जुलाई 2020 और 5 अगस्त 2020 को तीन अस्थायी कुर्की आदेश जारी किए, जिनमें कंपनी की दो टनल बोरिंग मशीनें और बैंक खाते की शेष राशि के अलावा अन्य चल और अचल संपत्तियां भी कुर्क की गईं. आगे चलकर ईडी ने 12 मार्च 2021 को विशेष अदालत में एक शिकायत दायर की और इन संपत्तियों को जब्त करने की मांग की.

बाद में कंपनी दिवालिया प्रक्रिया में चली गई और एसए इंफ्रास्ट्रक्चर कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने रेजोल्यूशन एप्लीकेंट घोषित कर दिया. एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड के नए प्रबंधन ने दिल्ली की स्पेशल कोर्ट में एक आवेदन दिया, जिसमें कुर्क की गई संपत्तियों की बहाली की मांग की गई थी.

आवेदन पर विचार करते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने कुर्क की गई संपत्तियों (कंपनी की दो टनल बोरिंग मशीनें और बैंक खाते में शेष राशि) को एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड के नए प्रबंधन को वापस करने पर सहमति जताई. इसके बाद स्पेशल कोर्ट ने संपत्तियों को बहाल करने का आदेश दिया, जिसकी कुल कीमत 55.85 करोड़ रुपए आंकी गई.

फिलहाल यह गलत तरीके से इस्तेमाल की गई धनराशि को सही दावेदारों को वापस दिलाने के प्रवर्तन निदेशालय के चल रहे अभियान में एक महत्वपूर्ण कदम है. प्रवर्तन निदेशालय धन शोधन से निपटने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि अपराध की आय उसके सही मालिकों को वापस मिले.

डीसीएच/जीकेटी