वाराणसी, 10 जुलाई . वाराणसी में मां गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़कर 65.04 मीटर तक पहुंच गया है और हर घंटे औसतन 4 सेंटीमीटर की वृद्धि हो रही है. इससे शहर के 85 घाटों का आपसी संपर्क टूट गया है. कई घाट और उनके किनारे बने मंदिर पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं.
इससे स्थानीय जनजीवन और धार्मिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं. दशाश्वमेध और शीतला घाट पर इसका असर दिख रहा है. घाटों की सीढ़ियों तक पानी चढ़ने से गुरु पूर्णिमा पर श्रद्धालु सीढ़ियों पर ही पूजा-अर्चना कर रहे हैं.
ग्वालियर से आए पर्यटक हर्ष श्रीवास्तव ने समाचार एजेंसी को बताया, “अस्सी घाट से पैदल घाटों तक जाना अब संभव नहीं है. स्नान के लिए भी पानी का स्तर बहुत गहरा हो गया है. गंगा का यह रौद्र रूप देखकर मायूसी भी है, लेकिन काशी के दर्शन का आनंद भी है.”
स्थानीय नाविक विक्की निषाद ने कहा, “पानी का बहाव बहुत तेज है. सभी रास्ते बंद हो चुके हैं. नावें अब सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक ही चलेंगी. घाटों के किनारे बने मंदिर डूब रहे हैं.”
पुरोहित पंडित राजू शास्त्री ने चिंता जताते हुए कहा, “घाटों का संपर्क टूट गया है. मंदिर जलमग्न हैं. तीर्थयात्रियों को स्नान और पूजा में थोड़ी दिक्कत हो रही है. अगर जलस्तर और बढ़ा, तो परेशानियां बढ़ सकती हैं.”
वहीं, स्थिति को नियंत्रित करने के लिए जल पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें घाटों पर तैनात हैं. सुरक्षा के मद्देनजर नावों का संचालन रात में बंद कर दिया गया है. बढ़ते जलस्तर ने न केवल धार्मिक गतिविधियों को प्रभावित किया, बल्कि स्थानीय लोगों का रोजमर्रा का जीवन भी अस्त-व्यस्त हो गया है.
साथ ही, प्रशासन ने लोगों से सावधानी बरतने और घाटों पर अनावश्यक भीड़ न लगाने की अपील की है. गंगा के इस प्रचंड रूप ने वाराणसी की काशी विश्वनाथ यात्रा को चुनौतीपूर्ण बना दिया है, लेकिन श्रद्धालुओं का विश्वास अभी भी अटल है. स्थिति पर नजर रखने के लिए प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है.
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एसएचके