New Delhi, 9 जुलाई . बिहार में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा ‘विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण अभियान 2025’ चलाया जा रहा है. राजद नेता तेजस्वी यादव ने कुछ फैक्ट्स साझा करते हुए इस अभियान पर सवाल उठाए. हालांकि, तेजस्वी यादव के पोस्ट में किए गए दावों की फैक्ट चेक में पोल खुल गई है. ईसीआई फैक्ट चेक में तेजस्वी यादव का दावा गलत निकला है.
भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने तेजस्वी यादव के बयान का फैक्ट चेक किया और बताया कि उनकी पोस्ट में किया गया दावा ‘भ्रामक’ है.
चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी साझा करते हुए बताया, “राष्ट्रीय जनता दल ने स्वयं एसआईआर के काम के लिए 47,504 बूथ लेवल एजेंट्स अप्वॉइंट किए हैं, जो कि एसआईआर के लिए जमीनी स्तर पर तत्परता से कार्य कर रहे हैं. एसआईआर सुचारू रूप से चल रहा है, कुल 4 करोड़ (50 प्रतिशत) के करीब फॉर्म अभी तक कलेक्ट किए जा चुके हैं.”
तेजस्वी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 8 जुलाई को एक पोस्ट शेयर करते हुए ‘विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण अभियान’ पर सवाल उठाए थे.
तेजस्वी ने लिखा था, “लोकतंत्र की जननी बिहार में मतदाता अधिकारों का चीरहरण! बिहार में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा चलाए जा रहे ‘विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण अभियान 2025’ में जो अव्यवस्था, अराजकता और असंवैधानिक कार्यप्रणाली सामने आ रही है, वह अत्यंत निंदनीय और लोकतंत्र के लिए घातक है. फर्जी फॉर्म, बिना दस्तावेज, बिना सत्यापन, सम्पूर्ण विवरणी के बिना ही फॉर्म भरने का मौखिक निर्देश, फर्जी हस्ताक्षर और निरक्षर बताकर किसी कर्मचारी से अंगूठा लगवाना, मतदाता की जानकारी के बिना डाटा अपलोड, बिना दस्तावेज फॉर्म भरने का मौखिक निर्देश, ईआरओ और बीएलओ पर 50 प्रतिशत फॉर्म आनन-फानन अपलोड करने का असंभव व अकल्पनीय दबाव, डाटा एंट्री ऑपरेटर तथा सुपरवाइजर से ही 10,000 फॉर्म प्रतिदिन अपलोड करने का अव्यावहारिक लक्ष्य, यह सब 10 जुलाई को माननीय Supreme court में होने वाली सुनवाई से पहले जल्दबाजी में किया जा रहा है, ताकि आंकड़ों की बाजीगरी से सच्चाई को ढका जा सके.”
तेजस्वी यादव ने अपने पोस्ट में कहा, “कहीं मौखिक रूप से कहा जा रहा है कि ‘आधार कार्ड ही काफी है’, तो कहीं कहा जा रहा है कि ‘किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं’- इससे मतदाताओं के बीच भारी भ्रम की स्थिति बन गई है. मैं खुद पार्टी कार्यकर्ताओं, बीएलओ और आम नागरिकों से बात कर रहा हूं. हर जगह अलग ही कहानी, अलग ही जालसाजी. ऐसा लग रहा है जैसे ‘फर्जीवाड़े का एक लाइव शो चल रहा है’, जिसमें हर दिन हर घंटे नई स्क्रिप्ट, नए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. जब संसाधन नहीं, इंटरनेट नहीं, प्रशिक्षण नहीं, स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं, वांछित समय नहीं तो इतनी जल्दबाजी क्यों? क्या यह एक पूर्वनियोजित साजिश है, ताकि असल मतदाताओं को हटाकर चुनाव को प्रभावित किया जा सके? यह सिर्फ प्रक्रिया का अपमान नहीं है, यह मतदाता अधिकारों पर हमला है, लोकतंत्र के मूल में गड़बड़ी करने का कुत्सित प्रयास है. बिहार के लोकतंत्र को यूं अपवित्र नहीं होने देंगे. हम हर मंच पर, हर स्तर पर, हर मतदाता की आवाज बनेंगे. लोकतंत्र की रक्षा के लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी.”
इसके अलावा, राजद ने एक क्लिप शेयर कर कथित वॉयस रिकॉर्डिंग सुनाई थी. राजद ने दावा करते हुए कहा लिखा था, “बिहार के एक जिलाधिकारी का मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण संबंधित दिशा-निर्देश अपनी विश्वसनीयता खो चुके चुनाव आयोग के मुंह पर करारा तमाचा है. Supreme court की सुनवाई से पहले कैसे चुनाव आयोग के हाथ-पांव फूल गए हैं. क्या जिलाधिकारी का वॉइस सैंपल करा कर चुनाव आयोग फैक्ट चेक करेगा? यह बिहार है, बिहार! दो गुजराती बिहार नहीं चलाएंगे. फर्जीवाड़े के बहुत ऑडियो-वीडियो हैं. देखते जाइए.”
राजद का ये दावा भी ईसीआई के फैक्ट चेक में गलत निकला. ईसीआई ने बताया कि इस पोस्ट में किया गया दावा भ्रामक है. डीएम ने जो कहा है, वह एसआईआर में निहित है.
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