पटना, 7 जुलाई . बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता और महागठबंधन समन्वय समिति के प्रमुख तेजस्वी यादव ने बिहार में कराए जा रहे मतदाता पुनरीक्षण को लेकर एक बार फिर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा जारी किए गए विज्ञापन और सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर भ्रम की स्थिति है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके अपने ही आदेशों में अंतर है.
तेजस्वी ने कहा कि चुनाव आयोग को आदेश या अधिसूचना निकालनी चाहिए. महागठबंधन के संयुक्त प्रेस वार्ता में उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि क्या संवैधानिक संस्थाओं के लिए विज्ञापन और सोशल मीडिया पोस्ट ही अब नीति वाहक बन गए हैं. तेजस्वी ने चुनाव आयोग की वेबसाइट के एक फॉर्म में अभी भी आधार कार्ड शामिल होने को लेकर भी सवाल उठाया.
उन्होंने बिहार से बाहर काम कर रहे लोगों को लेकर भी कहा कि उनका मतदाता पुनरीक्षण कैसे होगा. क्या उनका नाम वोटर लिस्ट से काटना ही एकमात्र रास्ता है? ऐसे लोगों की संख्या करीब चार करोड़ है. तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग से इस प्रक्रिया को तुरंत रोकने की मांग करते हुए कहा कि चुनाव के बाद इसे शुरू किया जाए, ताकि लोकतंत्र की गरिमा और जनता का विश्वास बना रहे. इस मुद्दे को लेकर कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया गया है.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने भी चुनाव आयोग के पूरी तरह भ्रम में रहने की बात करते हुए कहा कि आयोग किसी दबाव में निष्पक्ष निर्णय नहीं ले पा रहा है, इस कारण बराबर आदेश बदल रहा है. उन्होंने पूछा कि जब 25 जनवरी 2025 को मतदाता सूची को अंतिम रूप दिया जा चुका था, तो अब उसे क्यों नकारा जा रहा है?
राजेश राम ने कहा कि ट्रेड यूनियन के 9 जुलाई को प्रस्तावित भारत बंद का महागठबंधन के सभी घटक दल समर्थन कर रहे हैं. पूरे बिहार में ‘चक्का जाम’ होगा और घटक दलों के प्रमुख नेता राजधानी पटना में सड़क पर उतरेंगे. कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इस बंद में हिस्सा लेने पटना आ रहे हैं. पटना में एक विरोध मार्च निकाला जाएगा.
महागठबंधन ने चुनाव आयोग से विधानसभा वार प्रतिदिन का डेटा सार्वजनिक करने की मांग की है, जिससे मतदाता पुनरीक्षण में पारदर्शिता बनी रहे. इस प्रेस वार्ता में राजद के संजय यादव, प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, बिहार कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावारु और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी मौजूद रहे.
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एमएनपी/एएस