चेन्नई, 7 जुलाई . तमिलनाडु विद्युत विनियामक आयोग (टीएनईआरसी) द्वारा बिजली दरों में संशोधन के बाद पूरे तमिलनाडु में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) चार्जिंग ऑपरेटर परिचालन लागत में भारी वृद्धि हो सकती हैं.
तमिलनाडु में नई बिजली दरें 1 जुलाई से प्रभावी हो गई हैं.
संशोधित टैरिफ संरचना ने ईवी चार्जिंग स्टेशनों के लिए ऊर्जा शुल्क और निश्चित मासिक शुल्क दोनों में वृद्धि की गई है, जिससे राज्य में सार्वजनिक चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की आर्थिक व्यवहार्यता के बारे में ऑपरेटरों के बीच चिंता बढ़ गई है.
हालांकि, टीएनईआरसी ने अपने टाइम-ऑफ-डे (टीओडी) टैरिफ मॉडल को बरकरार रखा है, जिसे पहली बार 2023 में ऑफ-पीक चार्जिंग को प्रोत्साहित करने के लिए पेश किया गया था.
नई संरचना के तहत, सौर घंटों (सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक) के दौरान चार्ज करने पर 6.50 रुपए प्रति किलोवाट घंटा लागत आएगी, पीक घंटों (सुबह 6 बजे से सुबह 9 बजे और शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक) के दौरान, दर 9.45 रुपए से बढ़कर 9.75 रुपए प्रति किलोवाट घंटा हो गई है. रात में चार्जिंग (रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक) के लिए अब 8.10 रुपए प्रति किलोवाट घंटा का शुल्क लगेगा, जबकि पहले यह 7.85 रुपये था.
नई शुल्क संरचना के तहत सबसे बड़ी बढ़ोतरी हाई-टेंशन (एचटी) कनेक्शन के लिए निर्धारित शुल्क में की गई है, जिसका उपयोग आमतौर पर फास्ट-चार्जिंग स्टेशनों द्वारा किया जाता है. इसके लिए मासिक निर्धारित शुल्क दोगुने से भी अधिक 304 रुपए प्रति केवीए हो गया है, जो पहले 145 रुपए प्रति केवीए था.
ये चार्ज वास्तविक उपयोग की परवाह किए बिना स्वीकृत लोड के आधार पर लगाए जाते हैं. उदाहरण के लिए, 50 किलोवाट का फास्ट-चार्जिंग स्टेशन, जिसके लिए पहले लगभग 1,300 रुपए निर्धारित शुल्क (बिजली करों को छोड़कर) का भुगतान करता था, अब 2,750 रुपये प्रति माह का भुगतान करना होगा.
इससे पहले से ही कम क्षमता उपयोग के स्तर से जूझ रहे ऑपरेटरों की वित्तीय स्थिति पर दबाव पड़ने की उम्मीद है.
इंडियन चार्ज पॉइंट ऑपरेटर्स एसोसिएशन के निदेशक के.पी. कार्तिकेयन ने इस बढ़ोतरी को एक बड़ा झटका बताया.
उन्होंने कहा, “हमारी बिजली की औसत लागत 9 से 9.50 रुपए प्रति यूनिट हुआ करती थी. नए टैरिफ के साथ, इसमें लगभग 2.50 रुपए प्रति यूनिट की वृद्धि हुई है यानी बिजली की लागत में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.”
ऑपरेटर अब राज्य सरकार से नीति ढांचे की समीक्षा करने और ईवी चार्जिंग इकोसिस्टम को व्यवहार्य बनाए रखने के लिए प्रोत्साहन या सब्सिडी पर विचार करने का आग्रह कर रहे हैं. इस तरह के समर्थन के बिना, कई लोगों को डर है कि बढ़ी हुई लागत तमिलनाडु में एक मजबूत, किफायती सार्वजनिक चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की गति को धीमा कर सकती है.
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एबीएस/