‘भाषाई एकता को नुकसान न पहुंचाएं’, हिंदी-मराठी विवाद पर नकवी का संदेश

New Delhi, 4 जुलाई . Maharashtra में हिंदी बनाम मराठी की बहस के बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने नफरत फैलाने वाले बयानों से दूरी बनाने की अपील की. उन्होंने कहा कि मराठी भाषा का गौरवशाली इतिहास है और उसकी गरिमा को पूरा देश सम्मान देता है, लेकिन यह सोचना गलत है कि हिंदी किसी भी क्षेत्रीय भाषा की प्रतिद्वंद्वी है.

समाचार एजेंसी से खास बातचीत में नकवी ने स्पष्ट किया कि हिंदी ने हमेशा अन्य भारतीय भाषाओं के साथ मिलकर विकास किया है, न कि उनके खिलाफ. मराठी, तमिल, तेलुगू, पंजाबी जैसी भाषाएं हिंदी के साथ ही फली-फूली हैं. भाषाई विवादों को Political हथियार बनाने की कोशिशें देश की भाषायी एकता को नुकसान पहुंचाती हैं.

कांवड़ यात्रा को लेकर अव्यवस्था फैलाने के मुद्दे पर भी नकवी ने सख्त रुख अपनाया. उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा लोगों की आस्था, पवित्रता और शुद्धता से जुड़ी होती है. इसका सम्मान करना हर नागरिक की सामूहिक जिम्मेदारी है. कुछ लोग इस यात्रा के मार्ग पर जानबूझकर गंदगी या अव्यवस्था फैलाकर इसे अधिकार का नाम दे देते हैं और उनके समर्थक भी सामने आ जाते हैं.

बिहार में मतदाता सूची सुधार और चुनावी प्रक्रिया पर संदेह जताने वाले बयानों पर भी नकवी ने चिंता जताई. उन्होंने कहा कि देश में एक साजिशनुमा माहौल तैयार किया जा रहा है, जिसमें मतदाता भ्रमित हो रहे हैं और चुनाव प्रक्रिया पर अविश्वास जताया जा रहा है. उन्होंने इसे India के लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला बताते हुए कहा कि हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं और हमारी चुनावी प्रक्रिया इसकी आत्मा है. सभी Political दलों, Government और विपक्ष दोनों की सामूहिक जिम्मेदारी है कि वे मतदाताओं में विश्वास और भरोसा कायम रखें, न कि डर और अफवाह फैलाएं.

महागठबंधन में एआईएमआईएम के शामिल होने की इच्छा को लेकर सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा, “चुनावी चौपाल में जुगाड़ का झंझट चलता रहता है. कोई अंदर आता है और कोई बाहर जाता है. सबको मालूम है कि जुगाड़ के जमघट पनघट तक नहीं पहुंचते. गठबंधन तभी मजबूत होता है जब वह सिद्धांतों और साझा जिम्मेदारियों पर टिका हो, केवल चुनावी गणित से बने गठबंधन टिकाऊ नहीं होते.”

पीएसके/केआर