पीवी सिंधु: जिनका मैच देखने के लिए पूरा देश ठहर गया था

नई दिल्ली, 4 जुलाई . भारत को ‘क्रिकेट के दीवाने’ देश के रूप में जाना जाता है. लेकिन, 19 अगस्त 2016 को पूरा देश टेलीविजन के सामने बैडमिंटन के एक बेहद रोमांचक मुकाबला देखने के लिए बैठ गया था. मौका था रियो ओलंपिक बैडमिंटन सिंगल फाइनल और देश को रोक देने वाली खिलाड़ी का नाम था पी वी सिंधु. सभी सिंधु को उस दिन सोने का पदक पहनते देखना चाहते थे. ओलंपिक में किसी खिलाड़ी के पूर्व में शायद ही ऐसा माहौल बना था, जिसे सिंधु ने बना दिया था.

पी वी सिंधु ने 19 अगस्त 2016 को स्पेन की कैरोलिना मारिन के खिलाफ फाइनल खेला था. मुकाबला बेहद कड़ा था, लेकिन सिंधु को इसमें हार का सामना करना पड़ा और उन्हें सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा. हालांकि यह भी इतिहास था, क्योंकि बैडमिंटन में उनके पूर्व या अब तक किसी पुरुष या महिला खिलाड़ी ने ओलंपिक में सिल्वर मेडल नहीं जीता. देश में सिंधु का स्वागत एक गोल्ड मेडल विजेता की तरह ही किया गया.

पी वी सिंधु के इस ऐतिहासिक प्रदर्शन ने देश में क्रिकेट के मुकाबले एक और खेल के प्रसार की पहले से चली आ रही प्रक्रिया को और मजबूती दी. वहीं विज्ञापन जगत को भी क्रिकेट की दुनिया से अलग एक बड़ा चेहरा मिल गया. सिंधु की यह सफलता लंबे और कड़े संघर्ष के बाद आई थी और इसने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय कर दिया.

पी. वी. सिंधु का जन्म 5 जुलाई 1995 को हैदराबाद में हुआ था. उनका पूरा नाम पुसरला वेंकट सिंधु है. सिंधु 6 साल की उम्र से बैडमिंटन खेल रही हैं. वह इस खेल में देश की सबसे सफल खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अनेक अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का नाम रोशन किया है.

सिंधु ने 2016 रियो ओलंपिक में सिल्वर और 2020 टोक्यो ओलंपिक में ब्रांज मेडल जीता है. विश्व चैंपियनशिप में 1 गोल्ड, 2 सिल्वर, 2 ब्रांज, कॉमनवेल्थ में 2 गोल्ड, 2 सिल्वर और 1 ब्रांज, और एशियन चैंपियनशिप में 2 ब्रांज मेडल जीते हैं.

बैडमिंटन में असाधारण प्रदर्शन के लिए सिंधु को भारत सरकार ने 2013 में अर्जुन पुरस्कार, 2015 में पद्म श्री, 2016 में खेल रत्न पुरस्कार और 2020 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था.

सिंधु ने 22 दिसंबर, 2024 को उदयपुर में वेंकट दत्ता साईं से शादी की थी.

पीएके/केआर