त्रिनिदाद में 25 साल पहले भी बजा था ‘संघ के शेर’ नरेंद्र मोदी का डंका, मोदी आर्काइव ने ताजा की यादें

New Delhi, 3 जुलाई . Prime Minister Narendra Modi त्रिनिदाद और टोबैगो की आधिकारिक यात्रा पर जा रहे हैं. इस बीच मोदी आर्काइव ने social media प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा किया है, जिसमें अगस्त 2000 में त्रिनिदाद के पोर्ट-ऑफ-स्पेन में आयोजित विश्व हिंदू सम्मेलन के एक ऐतिहासिक पल का जिक्र है.

इस पोस्ट में उस क्षण को याद किया गया है, जब विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल ने Narendra Modi को संबोधित करते हुए फुसफुसाया, “यह संघ का शेर है!” यह वाक्यांश न केवल उस समय के माहौल को दर्शाता है, बल्कि भारतीय राजनीति में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक भी बन गया.

मोदी आर्काइव ने social media प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ” ‘यह संघ का शेर है!’ अगस्त 2000 में त्रिनिदाद के पोर्ट-ऑफ-स्पेन में एक खचाखच भरे हॉल में Narendra Modi को संबोधित करते हुए अशोक सिंघल द्वारा फुसफुसाए गए ये शब्द, सदी के अंत में शुरू हुए एक आंदोलन को परिभाषित करने वाले बन गए. उस क्षण में जन्मा यह वाक्यांश भारतीय राजनीति में एक नए युग की शुरुआत का प्रतिनिधित्व करने लगा, एक ऐसा युग जो भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा देने पर केंद्रित था तथा भारत और दुनिया भर में राष्ट्रीय पहचान को आकार देने वाला था.”

पोस्ट में लिखा है, “अगस्त 2000 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के तत्कालीन महासचिव मोदी त्रिनिदाद और टोबैगो में विश्व हिंदू सम्मेलन में एक हजार से अधिक प्रतिनिधियों की सभा के सामने खड़े हुए. सनातन धर्म महासभा द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में त्रिनिदाद और टोबैगो के पांचवें Prime Minister बासदेव पांडे, आरएसएस सरसंघचालक के. सुदर्शन, स्वामी चिदानंद सरस्वती और अशोक सिंघल जैसे प्रमुख व्यक्ति शामिल हुए थे.”

पोस्ट में बताया गया है कि कार्यक्रम का विषय वस्तु “आत्म-मुक्ति और विश्व कल्याण” था. यह नैरोबी (1998) में अखिल अफ्रीका हिंदू सम्मेलन और दक्षिण अफ्रीका (1995) में विश्व हिंदू सम्मेलन के बाद प्रतिष्ठित विश्व हिंदू कांग्रेस श्रृंखला का हिस्सा था. इसमें New Delhi, न्यूयॉर्क, कैरिबियन, उत्तरी अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका सहित कई क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे.

मोदी आर्काइव के अनुसार, वेस्ट इंडीज विश्वविद्यालय के लर्निंग रिसोर्स सेंटर में Narendra Modi ने “हिंदू धर्म और समकालीन वैश्विक मुद्दे – विकासशील प्रौद्योगिकी और मानव विश्व” शीर्षक से एक भावपूर्ण भाषण दिया. 25 साल पहले कहे गए उनके शब्दों ने आधुनिक तकनीकी युग में हिंदू सिद्धांतों की प्रासंगिकता पर जोर दिया और नेताओं से समाज की भलाई के लिए व्यक्तिगत एजेंडे को अलग रखने का आग्रह किया.

मोदी के भाषण ने सभागार में मौजूद लोगों पर गहरा प्रभाव छोड़ा. पोस्ट में लिखा है, “कमरे में ऊर्जा का माहौल साफतौर पर दिखाई दे रहा था. अशोक सिंघल Narendra Modi के भाषण की शक्ति से प्रभावित होकर झुके और फुसफुसाए, “यह संघ का शेर है!”, यह एक ऐसा वाक्यांश जो बाद में Narendra Modi की पहचान और राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा का एक परिभाषित प्रतीक बन गया.”

उल्लेखनीय है कि Prime Minister के रूप में Narendra Modi की यह यात्रा और 25 साल पुराने उस ऐतिहासिक पल की यादें भारत-त्रिनिदाद संबंधों को और मजबूत करने का अवसर प्रदान करती हैं. यह यात्रा दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक बंधनों को और गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी.

एकेएस/एकेजे