Lucknow, 3 जुलाई . उत्तर प्रदेश Government ने फैसला किया है कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी दुकानों को अपने साइनबोर्ड पर मालिक का नाम और पहचान दिखाना अनिवार्य होगा. इस फैसले पर सपा समेत विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं. हालांकि, यूपी Government में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने विपक्ष पर पलटवार किया और Samajwadi Party पर प्रदेश में तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया.
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने Thursday को मीडिया से बात करते हुए कहा, “Samajwadi Party के लोग हमेशा प्रदेश में तुष्टिकरण की राजनीति करते रहे हैं. उनका तुष्टिकरण का पुराना इतिहास है. हमारी प्रतिबद्धता कानून व्यवस्था को चाक-चौबंद करना है और हर स्थिति में कानून व्यवस्था को मेंटेन करेंगे. धर्म-कर्म के लिए कांवड़ यात्रा पर जाने वाले हमारे भाइयों को कोई दिक्कत न हो, इसकी व्यवस्था की जाएगी. साथ ही व्रत के दौरान खाने-पीने की दुकान शुद्ध मिले, इसकी भी व्यवस्था करेंगे.”
उन्होंने कहा, “हर खरीदार का अधिकार है कि वो जाने कि विक्रेता कौन है और वह किससे सामग्री खरीद रहा है. इस मुद्दे को उठाकर Samajwadi Party सिर्फ राजनीति कर रही है. हमने सपा नेताओं के बयान को सुना है. उनका उद्देश्य देश और प्रदेश में शरिया कानून लागू करना है. सपा प्रदेश को आतंक और दंगों की आग में झोंकना चाहती है. मैं पूछता हूं कि अगर कोई खाने-पीने का सामान बेच रहा है तो उसे नाम लिखने में क्या दिक्कत है? Samajwadi Party के लोगों के बयान निंदनीय हैं और प्रदेश की जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी.”
यूपी Government में मंत्री दयाशंकर ने से बातचीत में कहा, “मुझे लगता है कि किसी को पहचान बताने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. मैं खुद मंत्री हूं और जहां भी जाता हूं या रहता हूं, मुझसे भी पहचान पत्र मांगा जाता है और मैं दिखाता भी हूं. इसमें अपमानजनक कुछ नहीं है. पहचान छिपाना गलत है, क्योंकि जब लोग अपनी पहचान छिपाते हैं तो गलत तत्व भी घुस आते हैं.”
Samajwadi Party के पूर्व सांसद एसटी हसन के ‘कांवड़ यात्रियों’ पर दिए गए बयान पर मंत्री अनिल राजभर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अगर Government सावन के पवित्र महीने में पवित्र कांवड़ यात्रा में भाग लेने वाले हमारे भक्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है, तो इससे किसी को क्या परेशानी हो रही है? हमें इस बात की निगरानी क्यों नहीं करनी चाहिए कि उन्हें क्या परोसा जा रहा है? मैं पूछता हूं कि नाम छुपाने के पीछे कौन सी मजबूरी है? आतंकवाद की यह मानसिकता ऐसे लोगों को कभी नहीं छोड़ती है, वे हमेशा आतंकवादियों की तरह बोलते हैं.”
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एफएम/केआर