डिजिटल लेनदेन में वर्ल्ड लीडर की भूमिका में भारत, बीते 10 वर्षों में तेजी से बढ़ी इंटरनेट यूजर्स की संख्या : ज्योतिरादित्य सिंधिया

नई दिल्ली, 2 जुलाई . केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को कहा कि भारत डिजिटल लेनदेन में वर्तमान में फॉलोवर नहीं, बल्कि वर्ल्ड लीडर की भूमिका निभा रहा है. समाचार एजेंसी से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कई सवालों के जवाब दिए. यहां पढ़िए केंद्रीय मंत्री से की बातचीत की मुख्य बातें.

सवाल :- डिजिटल क्रांति के एक दशक पूरे हुए हैं, प्रधानमंत्री ने इस पर लेख भी लिखा है, इसे आप कितनी बड़ी उपलब्धि मानते हैं?

जबाव :- आज विश्व के 46 प्रतिशत से ज्यादा डिजिटल लेनदेन भारत में होते हैं और इन लेनदेन की संख्या प्रतिवर्ष 1.7 बिलियन है. इन लेनदेन का मूल्य 3 ट्रिलियन डॉलर प्रतिवर्ष है. यह आंकड़े दिखाते हैं कि भारत एक फॉलोवर नहीं है, बल्कि डिजिटल लेनदेन में एक लीडर बन चुका है. आज से करीब 100 वर्ष पूर्व औद्योगिक क्रांति हुई थी, जिसमें विश्व में रेल-सड़क आदि बने थे, ठीक उसी प्रकार पिछले 10 वर्षों में देश में डिजिटल क्रांति आई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 साल पहले इस डिजिटल क्रांति की भविष्यवाणी ही नहीं की थी, बल्कि कैसे इस डिजिटल क्रांति में देश आगे बढ़ेगा, इसके लिए पूरी एक रणनीति बनाई थी.

डिजिटल क्रांति के कारण देश में आज मोबाइल यूजर्स की संख्या बढ़कर 120 करोड़ हो गई है, जो कि 10 साल पहले केवल 90 करोड़ थी. वहीं, इंटरनेट कनेक्शन्स की संख्या बढ़कर 100 करोड़ हो गई है, जो कि एक दशक पहले केवल 25 करोड़ थी. देश में 94 करोड़ ब्रॉडबैंड के कनेक्शन्स हो चुके हैं, जिनकी संख्या पहले केवल 6 करोड़ थी. हर चीज की एक लेनदेन लागत होती है. डेटा की लागत 10 साल पहले 290 रुपए प्रति जीबी होती थी, जो कि अब 95 प्रतिशत तक कम होकर 9 रुपए प्रति जीबी तक पहुंच चुकी है. इन सभी बदलावों का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है.

सवाल :- नॉर्थ ईस्ट पर पहले सरकारों का इतना फोकस नहीं रहा, लेकिन मोदी सरकार ने इन्हें अष्ट लक्ष्मी राज्य माना है, ऐसे में भविष्य में इन राज्यों में क्या बदलाव देखने को मिल सकते हैं?

जवाब :- अष्ट लक्ष्मी राज्य मानना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल्पना है. इसे समझने के लिए हमें अतीत में जाना होगा. पहले उत्तर-पूर्वी क्षेत्र एक सेतु के रूप में काम करता था और विश्व को ग्लोबल साउथ के साथ जोड़ता था. पहले आसियान देशों के ट्रेड, माइग्रेशन समेत सभी चीजें के लिए उत्तर पूर्वी क्षेत्र एक आधार के रूप में काम करता था. कनेक्टर होने के कारण उस समय इस क्षेत्र की क्षमता पूरे विश्व में अति शोभनीय थी.पिछले 65 वर्षों में एक-एक करके इस क्षेत्र की क्षमता को सीमित किया गया और उसके बाद विकास और प्रगति अवरुद्ध किया गया. वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने इस परिकल्पना को बदलने के लिए अपनी पूरी शक्ति इस क्षेत्र की प्रगति में लगाई है. प्रधानमंत्री ने 70 बार उत्तर पूर्वी क्षेत्रों का भ्रमण किया है, जो कि अपने आप में कीर्तिमान है. अगर सारे 65 वर्ष के प्रधानमंत्रियों के समस्त दौरों को भी आप इकट्ठा करें तो वे भी इतने बार उत्तर पूर्वी क्षेत्र में नहीं जा पाए हैं. इसके साथ ही उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 5 लाख करोड़ रुपए का निवेश भी किया है. रोड, रेल और हवाई सेवा सभी पर ध्यान दिया जा रहा है. पहले उत्तर पूर्व में नौ हवाई अड्डे थे, वहीं, आज 17 हवाई अड्डे बन चुके हैं. 65 वर्षों तक अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम जैसे राज्य में एक हवाई अड्डा भी नहीं था, लेकिन मोदी सरकार के प्रयास के कारण आज अरुणाचल में चार हवाई अड्डे, सिक्किम में एक हवाई अड्डा है. पहले उत्तर पूर्व में 10,000 किलोमीटर के हाइवे थे, अब बढ़कर 16,000 किलोमीटर हो चुके हैं. ग्रामीण क्षेत्र में 50,000 करोड़ रुपए की राशि से 40,000 किलोमीटर की सड़कें बनी और वही स्थिति रेल रोड की है. करीब 2,000 किलोमीटर की रेल रोड का निर्माण अभी हो रहा है. मोदी सरकार आठ उत्तर पूर्वी राज्यों में रेल सेवा पहुंचाने के लिए संकलित है. इसके लिए सरकार 80,000 करोड़ रुपए खर्च कर रही है. आज पांच उत्तर पूर्वी राज्यों में रेल सेवा है. हम बाकी तीन राज्यों में 2027 तक रेल सेवा पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. आज पूरे देश में सबसे लंबा रोड ब्रिज भूपेन हजारिका ब्रिज साढ़े चार किलोमीटर का तैनात हो गया और वहीं विश्व का सबसे लंबा रोड कम रेल ब्रिज बोगी मेल ब्रिज साढ़े नौ किलोमीटर का तैनात हो गया है. यह उत्तर पूर्वी राज्यों के ऐसे कीर्तिमान हैं, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. वैसे ही सामाजिक क्षेत्र में, स्वास्थ्य के क्षेत्र में, शिक्षा के क्षेत्र में, हर एक क्षेत्र में, उत्तर पूर्वी आठ राज्यों को देश का ग्रोथ इंजन बनाना प्रधानमंत्री मोदी का लक्ष्य रहा है. इसी कारण से आज विश्व की विकास दर 2.5 प्रतिशत है, जबकि भारत 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है. वहीं, आठों उत्तर पूर्वी राज्यों की विकास दर पिछले साल 11 से 13 प्रतिशत के बीच रही है. अगर आप भारत के सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक रेल माने तो उत्तर पूर्वी क्षेत्र एक रेल इंजन बन चुका है.

सवाल :- बीएसएनएल घाटे से मुनाफे में आ गई और इंडिया पोस्ट में रीजनल सर्विस लॉन्च करना, यह बदलाव कैसे संभव हुआ?

जवाब :- मेरा मानना है कि तत्कालीन यूपीए सरकार में बीएसएनएल वेंटिलेटर सपोर्ट नहीं, बल्कि क्रिटिकल सपोर्ट पर थी. प्रधानमंत्री ने यह संकल्प बनाया कि हम बीएसएनएल को दोबारा देश की जनता की सेवा में पूर्ण रूप से तैनात करके लोगों के दिलों में बसाएंगे. इसके बाद जो कदम लिए उसके सुखद परिणाम सामने आए. बीएसएनएल के लिए अनेक आर्थिक पैकेजों की बात की गई और तीन लाख करोड़ रुपए की राशि दी गई. इसके साथ ही सारे आर्थिक, सारे स्ट्रैटिजिक स्टेप्स जोड़ लिए गए. पिछले 12-14 महीनों में अथक प्रयास और मेहनत के चलते बीएसएनएल ने 18 साल बाद अक्टूबर-दिसंबर अवधि में 262 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा दर्ज किया है. वहीं, जनवरी-मार्च अवधि में 280 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा दर्ज किया है. मैं इस सफलता का श्रेय गांव में बैठे लाइनमैन से लेकर हेडक्वार्टर तक बीएसएनएल के एक-एक सदस्य को देता हूं.बीएसएनएल की तरह हम इंडिया पोस्ट पर भी काम कर रहे हैं. हमारा एक पूरा बिजनेस, प्रोसेस रीइंजीनियरिंग का प्लान, पिछले 12 महीनों से हम लोग इस पर काम कर रहे हैं. हमने अपने छह वर्टिकल बनाए हैं. चार हॉरिजॉन्टल बनाए हैं. हर बिजनेस लाइन को कैसे प्रॉफिटेबिलिटी की तरफ हम लोग ले जाएं, उसी के साथ सूचना प्रौद्योगिकी टेक्नॉलॉजी किस तरह से अपनाएंगे. इस पर काम चल रहा है. इतिहास में पहली बार पोस्टल डिपार्टमेंट में चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर को नियुक्त किया गया है. हर एक वर्टिकल के साथ एक डिप्टी चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (सीटीओ) को भी नियुक्त किया गया है. हर एक वर्टिकल में हम लोग अपना कॉस्ट स्ट्रक्चर देख रहे हैं. हम लोग अपना कंप्टीशन के साथ अपने आप को कंपेयर कर रहे हैं और कैसे रेवेन्यू को हम लोग बढ़ा पाएं. हर एक वर्टिकल पर कार्य करके एक रेशनलाइजेशन करके ऑटोमेशन करके भी. इंडिया पोस्ट को भी हम लोग एक नई सर्विस के साथ तैनात कर रहे हैं, क्योंकि भारत में नहीं पूरे विश्व में किसी भी डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म के पास इतने ज्यादा टच प्वाइंट्स नहीं है, जितने भारतीय डाक के पास हैं.भारतीय डाक के पास 1,84,000 टच प्वाइंट्स हैं. इस कारण हम इस संस्था को एक लॉजिस्टिक्स पावरहाउस में परिवर्तित करना चाहते हैं.

सवाल :- राहुल गांधी बार-बार ‘नरेंद्र सरेंडर’ कह रहे हैं? इस पर आप क्या कहेंगे?

जवाब :- जिस राजनीतिक दल को देश की जनता ने ही सरेंडर करा दिया है. उस राजनीतिक पार्टी के बारे में कहने के लिए और क्या बचा है. राष्ट्र का मान और सम्मान सदैव प्राथमिकता होनी चाहिए. आज कांग्रेस गहरी खाई में पड़ चुकी है. वो अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को नीचा दिखाना, भारतीय सैनिकों के पराक्रम पर सवाल उठाना, भारत की आस्था-गर्व पर प्रश्न चिन्ह उठाते हैं. जब पाकिस्तान में ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और ‘बालाकोट एयर स्ट्राइक’ होती है तब यह लोग सबूत मांगते हैं. जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ होता है तो पूछते हैं कि कितने प्लेन गिराए. जिस दल और उसके नेतृत्व को भारत के गर्व की चिंता नहीं है, उस दल के बारे में भारत की जनता को कोई चिंता नहीं है. यह स्पष्ट हो चुका है.

सवाल :- बिहार में चुनाव है, इस पर आपका क्या कहना है?

जवाब :- बिहार में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन की सरकार बनेगी. भाजपा के सभी सहयोगी दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे. बिहार का विकास और प्रगति हमारी प्राथमिकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 11 साल के कार्यकाल में यह करके दिखाया है कि विकास और प्रगति ही हमारी प्राथमिकता है, बदलाव भारत की पुकार है और वही बदलाव प्रधानमंत्री मोदी ने संपूर्ण क्षेत्र में आर्थिक, सामाजिक और हर एक क्षेत्र में लाकर भारत का परचम विश्व पटल पर लहराया है.

एबीएस/