भारत की एमएंडए एक्टिविटी 2025 की पहली छमाही में 61.3 बिलियन डॉलर तक पहुंची : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 2 जुलाई . 2025 की पहली छमाही में भारत की विलय और अधिग्रहण (एमएंडए) एक्टिविटी मजबूत रही, जिसमें कुल सौदों का मूल्य 61.3 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. यह जानकारी बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई.

एलएसईजी के लेटेस्ट इंडिया इन्वेस्टमेंट बैंकिंग रिव्यू के अनुसार, यह पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 50 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है और 2022 के बाद से पहली छमाही का सबसे अधिक आंकड़ा है.

रिपोर्ट में यह भी दिखाया गया है कि एमएंडए लेनदेन की संख्या में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो बाजार में निरंतर गति का संकेत है. यह वृद्धि डॉमेस्टिक कंसोलिडेशन और एनर्जी ट्रांजिशन प्रयासों और द्वारा संचालित थी.

फाइनेंशियल स्पॉनसर्स ने विशेष रूप से इंश्योरेंस, टेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर जैसे सेक्टर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

एलएसईजी डील्स इंटेलिजेंस में वरिष्ठ प्रबंधक एलेन टैन ने कहा कि भारत की एमएंडए वृद्धि कई कारकों से प्रेरित है, जिसमें देश में रिन्यूएबल एनर्जी के लिए जोर और प्रमुख क्षेत्रों में संरचनात्मक परिवर्तन शामिल हैं.

उन्होंने कहा, “ऊर्जा एवं बिजली क्षेत्र ने 20.5 बिलियन डॉलर के सौदों के साथ बढ़त हासिल की, जो पिछले वर्ष की तुलना में 16 गुना से अधिक की वृद्धि है.”

भारतीय परिचालन से निवेश बैंकिंग शुल्क 2025 की पहली छमाही में 653.8 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो एक वर्ष पहले की तुलना में 21 प्रतिशत अधिक है.

इक्विटी कैपिटल मार्केट (ईसीएम) अंडरराइटिंग से शुल्क 272.7 मिलियन डॉलर रहा, जबकि डेट कैपिटल मार्केट (डीसीएम) अंडरराइटिंग से 131.7 मिलियन डॉलर की कमाई हुई.

सिंडिकेटेड लेंडिंग शुल्क 66 प्रतिशत बढ़कर 90.1 मिलियन डॉलर हो गया, और एमएंडए सलाहकार शुल्क 56 प्रतिशत बढ़कर 159.3 मिलियन डॉलर हो गया.

घरेलू एमएंडए विशेष रूप से मजबूत रहा, जो सालाना आधार पर 138 प्रतिशत बढ़कर 44.8 बिलियन डॉलर हो गया.

इस बीच, इनबाउंड एमएंडए 10.1 बिलियन डॉलर पर नौ वर्ष के निचले स्तर पर आ गया, जबकि आउटबाउंड एमएंडए 74 प्रतिशत बढ़कर 5.8 बिलियन डॉलर हो गया.

भारत के साथ आउटबाउंड और इनबाउंड क्रॉस-बॉर्डर सौदों के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका सबसे सक्रिय देश बना रहा. निजी इक्विटी समर्थित एमएंडए सौदे 11.6 बिलियन डॉलर तक पहुंच गए, जो पिछले वर्ष से 85.7 प्रतिशत की वृद्धि है.

रिपोर्ट के अनुसार, फाइनेंशियल और हेल्थकेयर ने क्रमशः 8.8 बिलियन डॉलर और 6.5 बिलियन डॉलर का योगदान दिया.

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