नई दिल्ली, 2 जुलाई . आयुर्वेद की दुनिया में जल ब्राह्मी को औषधीय गुणों से भरपूर पौधे के रूप में जाना जाता है. नम स्थानों और पानी के आसपास उगने वाली इस छोटी-सी बूटी को निरब्राह्मी या जल नेवरी भी कहते हैं. यह ‘आयुर्वेदिक एडाप्टोजेन’ न केवल दिमाग को तेज करने बल्कि शरीर के कई अंगों को स्वस्थ रखने में भी मददगार है.
यह जड़ी-बूटी आयुर्वेद में सदियों से इस्तेमाल हो रही है और इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं.
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अनुसार, ब्राह्मी एक एडाप्टोजेन है, जो शरीर और दिमाग को चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से उबरने में मदद कर सकता है. इसके अलावा, यह कई लाभ प्रदान करने के लिए जाना जाता है. आयुर्वेदिक एडाप्टोजेन, मेमोरी बढ़ाने वाले और तनाव दूर करने वाले उत्पादों में शामिल है.
एडाप्टोजेन्स ऐसे प्राकृतिक पदार्थ हैं, जो जड़ी-बूटियों या कुछ खास पौधों से मिलते हैं. ये हमारे शरीर और दिमाग को तनावपूर्ण स्थितियों में संतुलित रखने में मदद करते हैं. जब हम तनाव में होते हैं, तो शरीर में थकान होना, चिंता या कमजोरी आम सी बात बन जाती है. एडाप्टोजेन्स इस प्रतिक्रिया को नियंत्रित करते हैं, ताकि तनाव का असर कम हो और शरीर बिना नुकसान के नई परिस्थितियों में ढल सके. ऐसे में जल ब्राह्मी शरीर और दिमाग को तनावपूर्ण या नई परिस्थितियों में ढलने में मदद करती है. जैसे कि परीक्षा का दबाव, काम का तनाव, या कोई नई चुनौती, ब्राह्मी शांत और संतुलित रखने में सहायक है.
जल ब्राह्मी को सबसे ज्यादा दिमागी शक्ति बढ़ाने के लिए जाना जाता है. यह याददाश्त, एकाग्रता और सीखने की क्षमता को बेहतर करता है. चाहे आप विद्यार्थी हों, जो पढ़ाई में ध्यान लगाना चाहते हों, या बुजुर्ग जो अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी समस्याओं से बचना चाहते हों, यह बूटी आपके लिए वरदान है. इसमें नेचुरल एंटी-डिप्रेसेंट गुण तनाव और चिंता को कम करते हैं, साथ ही बेहतर नींद भी आती है.
यह छोटा-सा पौधा दिल की सेहत के लिए लाभकारी हो सकता है. यह ब्लड प्रेशर को संतुलित करता है और हृदय की कार्यक्षमता को बढ़ाता है. इसके अलावा, जल ब्राह्मी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में कारगर हैं. अगर आप गठिया या मांसपेशियों के दर्द से परेशान हैं, तो इस बूटी का इस्तेमाल आपको राहत दे सकता है.
जल ब्राह्मी बच्चों के मानसिक विकास में भी मदद करती है. बोलने में देरी या याददाश्त की कमजोरी जैसे मामलों में इसका उपयोग लाभकारी है. साथ ही, त्वचा की समस्याओं जैसे जलन, फोड़े-फुंसी या रैशेज के लिए इसका पेस्ट बनाकर लगाया जा सकता है.
जल ब्राह्मी को कई रूपों में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसकी पत्तियों का काढ़ा या चाय बनाकर पी सकते हैं. ब्राह्मी तेल से सिर की मालिश करने से दिमाग को सुकून मिलता है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की सलाह है कि इसका उपयोग शुरू करने से पहले किसी वैद्य या डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए.
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एमटी/एएस