Mumbai , 1 जुलाई . शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के ने Monday को उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने की अटकलों को खारिज करते हुए दोनों नेताओं पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि दोनों भाई हैं, और उनके एक होने या न होने से शिवसेना को कोई फर्क नहीं पड़ता.
नरेश म्हस्के ने उद्धव ठाकरे से सवाल किया कि राज ठाकरे, जिन्होंने शिवसेना को गांव-गांव तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई, उन्हें पार्टी छोड़ने के लिए क्यों मजबूर किया गया.
उन्होंने कहा, “राज ठाकरे ने शिवसेना को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. वह भारतीय विद्यार्थी सेना के अध्यक्ष थे और उस समय कांग्रेस का जबरदस्त वर्चस्व था. फिर भी, उन्होंने शिवसेना को खड़ा किया. उद्धव ठाकरे को पहले यह स्पष्ट करना चाहिए कि राज को पार्टी छोड़ने के लिए क्यों मजबूर किया गया.”
नरेश म्हस्के ने उद्धव ठाकरे की हालिया टिप्पणियों पर भी निशाना साधा, जिसमें उन्होंने ‘मराठी अस्मिता’ और ‘Mumbai खतरे में’ जैसे मुद्दे उठाए थे. उन्होंने इसे चुनावी रणनीति का हिस्सा बताते हुए कहा, “हर बार जब बीएमसी चुनाव नजदीक आते हैं, कुछ लोग ‘मराठी खतरे में है’ या ‘Mumbai खतरे में है’ जैसे भावनात्मक नारे उछालते हैं. यह इनका पुराना एजेंडा है.”
उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे अब वही बातें दोहरा रहे हैं, जो पहले यूबीटी के एजेंट बोला करते थे. हमने उनके साथ काम किया है, इसलिए जानते हैं कि यह सब चुनावी रणनीति का हिस्सा है. मौजूदा प्रदेश Government असफल नहीं है, यह केवल भ्रम फैलाने की कोशिश है. Government प्रभावी ढंग से काम कर रही है और जनता इन भावनात्मक मुद्दों के जाल में नहीं फंसेगी. यह सब बीएमसी चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश है, लेकिन जनता अब इन बातों को समझती है.
इससे पहले, शिवसेना प्रवक्ता मनीषा कायंदे ने कहा था कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने की संभावना पर कहा कि उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व का रास्ता छोड़ दिया है, जबकि राज ठाकरे स्वयं को कट्टर हिंदूवादी बताते हैं. इस वजह से दोनों नेताओं का एक साथ आना विचारधाराओं के टकराव के कारण मुश्किल है.
–
एकेएस/एकेजे