आजम खान की यूनिवर्सिटी गलत, तो योगी की यूनिवर्सिटी सही कैसे? : अखिलेश यादव

लखनऊ, 29 जून . समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व Chief Minister अखिलेश यादव ने Sunday को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में योगी सरकार पर जुबानी हमला किया. उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ की सरकार मोहम्मद आजम खान को राजनीतिक कारणों से निशाना बना रही है. आजम खान द्वारा स्थापित की गई यूनिवर्सिटी को बंद करा दिया गया और उन पर झूठे मुकदमे दर्ज कर दिए गए. उन्होंने जो जमीनें ली थी, वह State government के कैबिनेट के फैसले से ली गई थी.

अखिलेश यादव ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर आजम खान ने सड़क, तालाब, राजस्व विभाग की जमीन को कैबिनेट के फैसले से अपनी यूनिवर्सिटी का हिस्सा बनाया, तो क्या गलत किया? अब सुनने में आया है कि खुद Chief Minister योगी आदित्यनाथ ने भी एक यूनिवर्सिटी बनाई है और उसके चांसलर बने हैं. अगर आजम खान चांसलर बने तो आपत्ति, लेकिन अगर Chief Minister बने तो क्यों नहीं? अखिलेश ने चुनौती दी कि जैसे आजम खान की जमीनों की जांच हुई, वैसे ही Chief Minister द्वारा ली गई जमीनों की भी जांच होनी चाहिए. अगर आजम खान ने 300 एकड़ जमीन ली, तो Chief Minister ने 600 एकड़ ली है. सवाल यह उठता है कि जातिवादी और भेदभावपूर्ण फैसले कौन कर रहा है?

अखिलेश यादव ने व्यापारियों के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा. उन्होंने बताया कि जब वह व्यापारियों को न्याय दिलाने और मुआवजा दिलवाने गए, तो भाजपा नेताओं और एक विधायक ने योजनाबद्ध तरीके से बुलडोजर की कार्रवाई कराई. उन्होंने कहा कि बुलडोजर की बकेट पर भाजपा के लोग सवार होकर आए, यह दिखाता है कि विधायक Chief Minister से सीधे संपर्क में हैं और उनके निर्देश पर ही सब कुछ हो रहा है. उन्होंने सवाल किया कि क्या यह सरकार व्यापारियों की है या उन्हें डराने वाली?

इटावा में हुई कथावाचक पिटाई की घटना का जिक्र करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि उन्होंने खुद कथावाचक को सम्मानित किया ताकि समाज में कोई दूरियां न बढ़ें. उन्होंने बताया कि जिस गांव में यह घटना हुई, वहां पहले भी यादव समाज के लोग कथा कर चुके हैं. जिस परिवार ने कथा कराई, वह आर्थिक रूप से कमजोर था, इसलिए वह किसी बड़े कथावाचक को नहीं बुला सके, जो लाखों रुपए लेते हैं.

उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री का जिक्र करते हुए कहा कि क्या हर कोई अफॉर्ड कर सकता है कि उन्हें अपने घर कथा के लिए बुला सके? कई कथावाचक कथित रूप से 50 लाख रुपए तक लेते हैं. क्या धीरेंद्र शास्त्री जैसे कथावाचक पैसे नहीं लेते? अगर नहीं तो सार्वजनिक रूप से बताएं.

अखिलेश ने यह भी बताया कि इटावा की घटना में कथावाचक की ढोलक, हारमोनियम और चेन तक छीन ली गई, जो बेहद निंदनीय है. उन्होंने कहा कि समाज के हर वर्ग के लोग कथा कहते हैं और करवाते हैं, इसमें कोई जातीय भेद नहीं होना चाहिए. यादव समाज के लोग भी कथा कहते हैं और बहुत से गैर-यादव परिवार उन्हें बुलाते हैं. उन्होंने दोहराया कि उन्होंने कथावाचक को इसलिए सम्मानित किया ताकि विवाद न बढ़े और सामाजिक सौहार्द बना रहे.

पीएसके/एबीएम