उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि आपातकाल के दरम्यान निरंकुश इंदिरा सरकार ने संविधान की प्रस्तावना में संशोधन कर ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवाद’ शब्द का इस्तेमाल करके कांग्रेस ने खुलकर धर्मनिरपेक्षता की आड़ में तुष्टिकरण और समाजवाद की ओट लेकर ‘छलावे के झुनझुने’ वाला खेल शुरू कर दिया था. लेकिन इसी दांव ने उसको हाशिए पर भी धकेल दिया जिससे वह अभी तक कराह रही है.
ज्ञात हो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के संविधान की प्रस्तावना में शामिल समाजवादी तथा धर्मनिरपेक्ष शब्दों की समीक्षा पर विचार करने की बात से एक बार फिर सियासी भूचाल आ गया है. इसे लेकर विपक्षी दल लगातार हमलावर हैं.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए कहा कि आरएसएस का नकाब फिर से उतर गया. संविधान इन्हें चुभता है क्योंकि वो समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है. आरएसएस-भाजपा को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए. ये बहुजनों और गरीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा गुलाम बनाना चाहते हैं. संविधान जैसा ताकतवर हथियार उनसे छीनना इनका असली एजेंडा है. आरएसएस ये सपना देखना बंद करे. हम उन्हें कभी सफल नहीं होने देंगे. हर देशभक्त भारतीय आखिरी दम तक संविधान की रक्षा करेगा.
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विकेटी/एएस