Mumbai , 24 जून . ईरान-इजरायल के बीच सैन्य तनाव वैश्विक चिंता का विषय बना हुआ है. इसी बीच Prime Minister Narendra Modi ने दोनों देशों से शांति और संयम बरतने की अपील की है. India ने इस युद्ध में तटस्थ रुख अपनाते हुए क्षेत्रीय स्थिरता और कूटनीतिक समाधान पर जोर दिया है. हालांकि, कांग्रेस पार्टी के ईरान समर्थक रुख ने देश में Political बहस को जन्म दिया है.
शिवसेना प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने कहा कि कांग्रेस एक बेहद कन्फ्यूज पार्टी है. वह क्यों ईरान का समर्थन करती है, यह अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है. जब देश की Government शांति की अपील करती है तो कांग्रेस को भी देश और Government के साथ एक सुर में बोलना चाहिए. लेकिन, कांग्रेस हमेशा अलग राह पकड़ती है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी कांग्रेस ने Pakistan का पक्ष लिया, उसकी भाषा बोली, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था. ऐसे राष्ट्रीय मुद्दों पर एकता जरूरी होती है, लेकिन कांग्रेस अक्सर अलग सुर अपनाकर देश की भावना के विपरीत जाती है.
अबू आजमी के विवादित बयान पर उन्होंने कहा कि अबू आजमी केवल चर्चा और न्यूज में बने रहने के लिए बयान दे रहे हैं. उनके बयानों से साफ होता है कि वे हिंदू और सनातन विरोधी मानसिकता रखते हैं. नमाज सड़क पर पढ़ने की वकालत, कावड़ यात्रा और पंढरपुर यात्रा पर आपत्ति, औरंगजेब का समर्थन, ये उनकी विचारधारा को दर्शाते हैं. क्या सऊदी अरब, ईरान या Pakistan जैसे मुस्लिम देशों में सड़क पर नमाज की इजाजत है? अबू आजमी अकेले पड़ गए हैं और Samajwadi Party ने भी उनके बयानों से किनारा कर लिया है. मेरा मानना है कि उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
वहीं, पीएम मोदी ने आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर इसके दस्तावेजों को संग्रहालय में संरक्षित करने का सुझाव दिया है. जिसको लेकर शिवसेना प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने कहा कि Prime Minister मोदी ने सही कहा कि इंदिरा गांधी द्वारा लगाया गया आपातकाल लोकतंत्र पर काला धब्बा था. उस समय बुजुर्गों, पत्रकारों और विपक्षी नेताओं को बिना कारण जेल में डाला गया. कई लोगों को अत्याचार झेलना पड़ा. आज मोदी Government उन पीड़ितों और उनकी विधवाओं को पेंशन देकर सम्मान दे रही है. कांग्रेस ने इतिहास से उस काले दौर को हटाने की कोशिश की, लेकिन नई पीढ़ी को यह जानना जरूरी है कि एलके आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं को क्यों और कितने समय तक जेल में रखा गया था. आपातकाल के दर्द को लोगों ने सहा है. मेरा मानना है कि उस दौर की सच्चाई सामने आनी चाहिए.
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एकेएस/एबीएम