अनुराग बत्रा ने ऑक्सफोर्ड में दुनिया से कहा, ‘अब कॉफी नहीं, चाय की महक लेने का वक्त आ गया है’

लंदन, 23 जून . बीडब्ल्यू बिजनेसवर्ल्ड मीडिया ग्रुप के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ तथा एक्सचेंज4मीडिया के संस्थापक अनुराग बत्रा ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भारत की बदलती ताकत और पहचान को लेकर भाषण दिया. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि दुनिया भारत को एक नए नजरिए से देखे, एक ऐसे देश के रूप में जो आत्मविश्वास से भरा है, जिसकी सांस्कृतिक ताकत और सभ्यतागत नेतृत्व वैश्विक मंच पर नई कहानी लिख रहे हैं.

अनुराग बत्रा ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सैद बिजनेस स्कूल में भारत के बढ़ते कद तथा बढ़ते प्रभुत्व के बारे में एक प्रेरक भाषण दिया. ऑक्सफोर्ड के प्रतिष्ठित ‘नेल्सन मंडेला लेक्चर थिएटर’ में उन्होंने अपने विचार रखे. उन्होंने बताया कि अब “कॉफी नहीं, चाय की महक लेने” का समय आ गया है. इस बात से उनका मतलब भारत के विश्व स्तर पर एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरने से था. बत्रा के साथ आध्यात्मिक नेता गौरांग दास तथा भाजपा विदेश मामलों के विभाग के प्रमुख विजय चौथाईवाले सहित अन्य हस्तियां भी मंच पर मौजूद रही.

बत्रा ने अपने भाषण की शुरुआत चाय से की. उन्होंने बताया कि वे खुद चाय के बहुत शौकीन हैं और बचपन से ही वे इसे परिवारों और समाजों को जोड़ने वाले कारक के रूप में देखते आए हैं. आज का भारत भी कुछ ऐसा ही है. उन्होंने कहा कि भारत अब ऐसा देश बन चुका है जो न केवल चीन और अमेरिका जैसे देशों की आंखों में आंखें डालकर बात करता है, बल्कि अपनी बात मजबूती से रखता है.

बत्रा ने पिछले कुछ वर्षों में भारत की बदलती वैश्विक और आर्थिक गतिशीलता के बारे में बताया और इस तथ्य को भी रेखांकित किया कि दुनिया को भारतीय उपमहाद्वीप को एक नई रोशनी में देखने की आवश्यकता क्यों है.

उन्होंने कहा, “भारत अब वह शर्मीला बच्चा नहीं रहा, जो कभी वैश्विक मंच पर एक कोने में चुपचाप बैठा रहता था. आज, भारत पूरे आत्मविश्वास के साथ विश्व मंच पर आगे बढ़ रहा है और उसको अपनी वैल्यू पता है.”

बत्रा ने उदाहरण दिया कि आज के समय में जब जी-7 जैसे वैश्विक सम्मेलन होते हैं, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे ज्यादा ध्यान खींचने वाले नेता बन चुके हैं.

उन्होंने कहा, “पीएम मोदी ऐसे नेता हैं जिनसे हर कोई बात करना चाहता है. मेलोनी से लेकर मैक्रों तक, दुनिया के नेता भारत की राय जानना चाहते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत नियमों को फिर से लिख रहा है. पुतिन के साथ गले मिलना, ट्रंप के साथ रणनीतिक हाथ मिलाना और शी जिनपिंग के साथ संतुलित बातचीत करना पीएम मोदी की दुर्लभ क्षमता है – कुछ ही नेता भारत के हितों को ध्यान में रखते हुए बिना किसी का पक्ष लिए ऐसा कर पाते हैं.”

‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि भारत ने नियंत्रण रेखा पार कर नौ आतंकवादी ठिकानों को बेहद सटीक तरीके से खत्म किया. यह कोई भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि आतंकवाद से निपटने का ठंडे दिमाग से लिया गया मजबूत कदम था, जिसने आतंकवाद से लड़ने में “नया मानक” स्थापित किया.

उन्होंने यह भी बताया कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने किसी तीसरे देश की मदद का इंतजार नहीं किया, बल्कि खुद अपने तरीके से शांति स्थापित की और ट्रंप के “मैंने युद्ध रोका” जैसे दावों को दरकिनार कर दिया.

उन्होंने कहा, “यह केवल कूटनीति नहीं थी, यह संप्रभुता का दिखावा था. भारत ने ट्रंप की यूक्रेन शांति योजना का समर्थन किया, रूस को अपना “सुख-दुख का साथी” कहा और पिछले सीमा तनावों के बावजूद चीन के साथ रास्ते खुले रखे- यह सब यू.एस.-इंडिया कॉम्पैक्ट और इंडस इनोवेशन जैसी पहलों के माध्यम से अमेरिका के साथ संबंधों को आगे बढ़ाते हुए किया.”

अनुराग बत्रा ने पश्चिमी मीडिया की सनसनी फैलाने की आदत पर नाराजगी जताई और कहा कि वे भारत की सच्ची तस्वीर दिखाने के बजाय केवल पाठकों को आकर्षित करने के लिए ‘क्लिकबेट सामग्री’ पर ध्यान केंद्रित करते हैं.

उन्होंने कहा, “पश्चिमी मीडिया अक्सर असली मुद्दों को नजरअंदाज कर देता है. सीएनएन, बीबीसी जैसी संस्थाएं सनसनीखेज खबरों पर चलती हैं. 2021 में जब भारत में कोरोना की दूसरी लहर आई, तो उन्होंने अंतिम संस्कार की चिताओं और शोक संतप्त परिवारों की तस्वीरें दिखाईं और भारत की स्थिति को एकतरफा, केवल अराजकता के रूप में पेश किया.”

कोविड-19 महामारी के कवरेज में पश्चिमी मीडिया के दोहरेपन की ओर इशारा करते हुए, उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और यूरोप में वैक्सीन लगवाने को लेकर झिझक थी और वहां वैक्सीनेशन की गति भी भारत से धीमी रही, लेकिन इसके बावजूद दुनिया ने भारत की वैक्सीनेशन मुहिम की आलोचना की.

बत्रा ने कहा कि योग और फिल्में भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ हैं, जिनकी अब पूरी दुनिया सराहना कर रही है. उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञ आज दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों का नेतृत्व कर रहे हैं और विश्व के भविष्य को आकार देने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

उन्होंने कहा, “हमारी 3 करोड़ से ज्यादा की प्रवासी भारतीय आबादी पूरी दुनिया में भारत की संस्कृति और पहचान को आगे बढ़ा रही है. सुंदर पिचाई जैसे लोग गूगल चला रहे हैं और ऋषि सुनक जैसे नेता ब्रिटेन की राजनीति को दिशा दे रहे हैं. ये गेम चेंजर है.”

उन्होंने आगे कहा कि अब समय है कि दुनिया भारत को एक नई नजर से देखे. भारत पाकिस्तान से रिश्ते सुधार सकता है, चीन से संवाद कर सकता है, अमेरिका का सहयोगी बन सकता है, दलाई लामा को अपने देश में रख सकता है और साथ ही पूरी दुनिया में योग फैला सकता है. यही बात भारत को एक साहसी, संतुलित और आत्मविश्वासी राष्ट्र बनाती है.

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