पेरिस, 22 जून . ईरान में तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हवाई हमलों के बाद फ्रांस ने गहरी चिंता व्यक्त की है. फ्रांस ने Sunday को एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि “इन हमलों में न तो वह शामिल था और न ही इसकी कोई योजना का हिस्सा रहा.”
फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका, ईरान और इजरायल से संयम बरतने की अपील करते हुए कहा कि मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव को फैलने से रोकना अत्यंत आवश्यक है.
मंत्रालय ने कहा कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का युद्ध व्यापक संकट को जन्म दे सकता है.
बयान में कहा गया कि ईरान-इजरायल संघर्ष को देखते हुए फ्रांस की प्राथमिकता अपने नागरिकों, अधिकारियों और मध्य पूर्व में मौजूद फ्रांसीसी साझेदारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
फ्रांस ने एक बार फिर दोहराया कि वह ईरान द्वारा परमाणु हथियार प्राप्त करने के सख्त खिलाफ है. बयान में कहा गया कि इस संकट का स्थायी समाधान केवल परमाणु अप्रसार संधि के ढांचे के तहत संवाद और समझौते से ही संभव है.
फ्रांस ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) द्वारा जारी उस रिपोर्ट का संज्ञान लिया है जिसमें कहा गया है कि अब तक ईरान में अमेरिकी हमलों के बाद किसी भी स्थान पर रेडिएशन का खतरनाक स्तर नहीं पाया गया है.
फ्रांस के President इमैनुएल मैक्रों ने हालात की गंभीरता को देखते हुए आपात रक्षा कैबिनेट बैठक बुलाने की घोषणा की है. उन्होंने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान समेत कई क्षेत्रीय और यूरोपीय नेताओं से बात की और आगे भी उच्चस्तरीय वार्ताओं की योजना है.
इससे पहले Sunday सुबह अमेरिकी President डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों फोर्डो, नतांज और इस्फाहान पर हमले किए हैं. ट्रंप ने चेतावनी दी कि यदि ईरान ने इजरायल के खिलाफ अपना रवैया नहीं बदला, तो “आने वाले दिनों में और भी सटीक और घातक हमले किए जाएंगे.”
ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह जारी नहीं रह सकता. या तो अब शांति होगी या ईरान के लिए एक बड़ी त्रासदी.”
उन्होंने यह भी कहा कि इन हमलों का मकसद ईरान की परमाणु क्षमता को पंगु बनाना और दुनिया के ‘सबसे बड़े आतंकी प्रायोजक’ की परमाणु धमकी को खत्म करना था.
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डीएससी/एबीएम