योग बना वैश्विक आंदोलन, भारत की प्राचीन परंपरा को वैश्विक मंच पर पहुंचाने का सफर

New Delhi, 21 जून . अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत Prime Minister Narendra Modi के उस दूरदर्शी विचार से हुई, जिसमें उन्होंने योग को India की सांस्कृतिक धरोहर से निकालकर पूरे विश्व तक पहुंचाने का संकल्प लिया.

2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में Prime Minister मोदी ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित करने का प्रस्ताव रखा. इस ऐतिहासिक पहल को रिकॉर्ड समय में 177 देशों का समर्थन मिला, जिससे यह दिन स्वास्थ्य, सौहार्द और वैश्विक एकता का प्रतीक बन गया.

पद्मश्री सम्मानित योगगुरु स्वामी डॉ. India भूषण देव social media प्लेटफॉर्म ‘मोदी स्टोरी’ से बताते हैं कि पीएम Narendra Modi पहले ऐसे राष्ट्रीय नेता रहे, जिन्होंने योग को केवल व्यायाम नहीं, बल्कि एक परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में देखा, जो दुनियाभर की संस्कृतियों, देशों और मान्यताओं को जोड़ने का माध्यम बन सकता है.

उन्होंने बताया कि जब उनकी मुलाकात पीएम मोदी से हुई, तो उनका कहना था कि योग को पूरी दुनिया में ले जाना है. उन्होंने कहा था कि कुछ लोग इसे धार्मिक रंग देंगे, लेकिन क्या बीमारी कोई धार्मिक होती है, टेंशन कोई धार्मिक होती है, ठीक उसी तरह से योग को धर्म की नजर से नहीं देखा जाना चाहिए.

कर्तव्य पथ (तब राजपथ) पर विशाल योग सत्रों से लेकर 190 से अधिक देशों में उत्साहपूर्ण भागीदारी तक, पीएम मोदी के प्रयासों ने योग को एक वैश्विक उत्सव बना दिया है. अब योग केवल फिटनेस तक सीमित नहीं, बल्कि एक जीवनशैली बन चुका है, जिसे विद्यार्थी, सैनिक, कॉर्पोरेट्स और आम नागरिक समान रूप से अपना रहे हैं.

इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन विशाखापट्टनम में किया गया, जो देश के कोने-कोने में इस आंदोलन की गूंज और भागीदारी को दर्शाता है.

योग आज भी दुनिया को जोड़ रहा है. केवल एक शारीरिक अभ्यास के रूप में नहीं, बल्कि India की ओर से शांति, संतुलन और समग्र कल्याण का संदेश बनकर.

डीएससी/एबीएम