राजगीर, 21 जून . बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय में 11वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” की वैश्विक थीम के साथ गहन आध्यात्मिक और पर्यावरणीय प्रतिबद्धता के भाव से मनाया गया. दिन की शुरुआत विश्वविद्यालय के विशेष योग केंद्र में प्रातःकाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योग दिवस संबोधन के सीधे प्रसारण के साथ हुई. इसके बाद भारत सहित विश्वभर से आए छात्रों, शिक्षकगण एवं कर्मचारियों ने सामूहिक योग सत्र में सहभागिता की.
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम मानव कल्याण और पृथ्वी के स्वास्थ्य के परस्पर संबंध को रेखांकित करती है, जो नालंदा विश्वविद्यालय की प्राचीन परंपरा और सतत शैक्षणिक दर्शन से पूरी तरह मेल खाती है. इस अवसर पर नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने कहा, “योग भारत की प्राचीन और समृद्ध परंपरा है, जो विभिन्न सभ्यताओं तक पहुंची. यह न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक अभ्यास है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक अनुशासन है, जो विविध समाजों में शांति एवं समरसता स्थापित कर सकता है. इसी दृष्टिकोण से विश्वविद्यालय ने इस वर्ष से योग को अपने नियमित शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है.”
योग सत्र के उपरांत विश्वविद्यालय परिसर में बड़े स्तर पर वृक्षारोपण अभियान का आयोजन हुआ. कुलपति के नेतृत्व में विश्वविद्यालय परिवार के सभी सदस्यों ने पौधारोपण कर प्रकृति और भावी पीढ़ियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराया. योग दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय में एक दो दिवसीय विशेष योग कार्यशाला का भी आयोजन हुआ, जिसे भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, पटना और बिहार स्कूल ऑफ योग, मुंगेर के सहयोग से आयोजित किया गया.
योगाचार्य योगेश द्वारा संचालित इस सत्र में प्राणायाम, योग निद्रा, मंत्रोच्चारण, आसन और राजयोग जैसे विविध आयामों को सम्मिलित किया गया. वक्ताओं ने कहा कि इतिहास में नालंदा ज्ञान और साधना का अद्भुत संगम रहा है, जहां योग की आध्यात्मिक साधना ने बौद्धिक विमर्श को दिशा दी. आज जब पूरा विश्व फिर से समग्र स्वास्थ्य और संतुलन की कल्पना कर रहा है, ऐसे समय में नालंदा की आत्मा इस विरासत को पुनर्स्थापित करने हेतु प्रतिबद्ध है, और आने वाले वर्षों में योग को अकादमिक एवं पारिस्थितिक विमर्श का अभिन्न हिस्सा बनाए रखने के लिए दृढ़ संकल्पित है.
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एमएनपी/एएस