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कोलकाता, 19 जून . पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने Thursday को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के पत्र को social media पर साझा कर कुछ सवाल खड़े किए. टीएमसी पर Gujarat विरोधी मानसिकता का आरोप लगाया.
पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने Thursday को social media प्लेटफॉर्म एक्स पर टीएमसी का पत्र शेयर करते हुए सवाल किया. उन्होंने लिखा, “ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का 18 जून 2025 का पत्र, जिसमें उन्होंने 80-कालीगंज विधानसभा उपचुनाव के लिए वेबकास्टिंग एजेंसी के चयन पर सवाल उठाया है, जो स्पष्ट रूप से Gujarat विरोधी मानसिकता को दर्शाता है. पत्र में Ahmedabad, Gujarat की एक एजेंसी के चयन पर चिंता जताई गई है और बार-बार इसके Gujarat मूल को रेखांकित किया गया है, जो Gujaratियों के खिलाफ क्षेत्रीय भेदभाव को दर्शाता है.”
उन्होंने आगे कहा, “Gujarat India का हिस्सा है और वहां की कोई भी कंपनी कानूनी तौर पर किसी भी टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा ले सकती है. एजेंसी का चयन सभी मानदंडों को पूरा करने के बाद हुआ होगा, लेकिन टीएमसी इसे निशाना बना रही है, क्योंकि यह उनकी Political रणनीति का हिस्सा है. वे अपने विरोधियों को ‘बाहरी’ करार देकर हमला करते हैं, जब यह उनके लिए सुविधाजनक होता है. मगर, जब योग्य और कुशल बंगाली अधिकारियों को चुनने की बारी आती है, तो टीएमसी Government उन्हें नजरअंदाज कर ‘बाहरी’ लोगों को चुनती है, जो उनके इशारों पर काम करें.”
सुवेंदु अधिकारी ने कुछ नामों का जिक्र करते हुए एक्स पर आगे लिखा, “अत्री भट्टाचार्य (आईएएस, 1989 बैच) अप्रैल 2026 में रिटायर हो रहे हैं, जबकि मनोज पंत (आईएएस, 1991 बैच, उत्तराखंड) जून 2025 में रिटायर हो रहे हैं. फिर भी अत्री भट्टाचार्य और सुब्रत गुप्ता (आईएएस, 1990 बैच) जैसे योग्य बंगाली अधिकारियों को नजरअंदाज कर मनोज पंत को मुख्य सचिव क्यों बनाया गया, जो दो बंगाली अधिकारियों से जूनियर हैं? मनोज पंत का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव क्यों भेजा गया, जबकि भट्टाचार्य के पास अभी 10 महीने की सेवा बाकी है और वे मुख्य सचिव बन सकते हैं?”
उन्होंने कहा, “संजय मुखर्जी (आईपीएस, 1989 बैच), पश्चिम बंगाल के सबसे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को नजरअंदाज कर उनके जूनियर राजीव कुमार (आईपीएस, उत्तर प्रदेश) को डीजीपी क्यों बनाया गया?”
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एफएम/केआर