विश्व शरणार्थी दिवस 2025: युद्ध, आपदा और उत्पीड़न से जूझ रहे लोगों के सम्मान का दिन

New Delhi, 19 जून . 20 जून को दुनिया भर के लोग विश्व शरणार्थी दिवस मनाते हैं. शरणार्थी वो व्यक्ति होता है जिसे युद्ध, उत्पीड़न या प्राकृतिक आपदा से बचने के लिए अपना देश छोड़ कहीं और शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है. हर साल दुनिया भर में लाखों लोग अपने घरों को छोड़ कहीं सुरक्षित जगह पर नए जीवन की तलाश में निकल पड़ते हैं. इ

विश्व शरणार्थी दिवस पहली बार 20 जून 2001 को शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित 1951 कन्वेंशन की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए विश्व स्तर पर मनाया गया. इसका उद्देश्य शरणार्थियों के अधिकारों, जरूरतों और सपनों पर जोर देना है. इसका मकसद Political इच्छाशक्ति और संसाधनों को जुटाना भी है, ताकि शरणार्थी न सिर्फ जीवित रह सकें बल्कि फल-फूल सकें. दिसंबर 2000 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक तौर पर इसे अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया. इसके पहले इसे मूल रूप से अफ्रीका शरणार्थी दिवस के रूप में जाना जाता था.

शरणार्थियों के लिए बने संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त के मुताबिक, हर साल विश्व शरणार्थी दिवस पर दुनिया भर के कई देशों में शरणार्थियों के समर्थन में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इन गतिविधियों का नेतृत्व शरणार्थी स्वयं करते हैं या उनमें Governmentी अधिकारी, मेजबान समुदाय, कंपनियां, मशहूर हस्तियां और स्कूली बच्चे शामिल होते हैं.

वैश्विक अनिश्चितता के दौर में जब लोग अपने स्वार्थ को मानवता से ज्यादा महत्व देते हैं तो जबरन विस्थापित लोगों की संख्या बढ़ती है, जो आज के समय में रिकॉर्ड ऊंचाई पर है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, दुनियाभर में जबरन विस्थापित 123 मिलियन से अधिक लोग हैं. इन लोगों को अपना समर्थन व्यक्त करते हुए डब्ल्यूएचओ कहता है कि स्वास्थ्य एक मौलिक मानव अधिकार है, जो सम्मान, सुरक्षा और समावेश के लिए जरूरी है. इसलिए वो विस्थापित लोगों के साथ एकजुटता में खड़ा है.

इस साल विश्व शरणार्थी दिवस पर इसकी थीम “शरणार्थियों के साथ एकजुटता” रखी गई है, जिसमें एकजुटता का मतलब है शरणार्थियों को सिर्फ शब्दों से नहीं बल्कि कामों से भी सम्मान देना.

डीसीएच/केआर