विकेट लेने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता गिल की पहली बड़ी परीक्षा होगी

लंदन, 18 जून . टेस्ट क्रिकेट के प्रति धीरे-धीरे बढ़ती उत्सुकता का अद्भुत अहसास हम पर हावी हो रहा है. पहले ही विश्‍व टेस्‍ट चैंपियनशिप के फाइनल के तौर पर एक बेहतरीन मैच हो चुका है, लेकिन पांच टेस्ट मैचों की सीरीज शुरू होने से पहले का सप्ताह कुछ और ही है. असामान्य रूप से गर्म लीड्स में मौसम साफ है, इंग्लैंड ने देश के सबसे अंतरंग और शोरगुल वाले टेस्ट स्थल पर पहले से ही प्रशिक्षण शुरू कर दिया है, मैदानकर्मी अंतिम छंटाई से पहले सतह में पर्याप्त नमी बनाए रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और भारत पिछले सप्ताह लंदन के बाहरी इलाके में बंद दरवाजों के पीछे भारत ए के खिलाफ खेलने के बाद बुधवार को प्रशिक्षण शुरू करेगा.

जब आप नए सीजन के लिए सफेद जर्सी पहनते हैं, तो यह अपरिहार्य है कि मन पिछले सीजन की यादों को फिर से जगाने लगे. भारत ने आखिरी बार जब सफेद जर्सी पहनी थी, तब से छह महीने हो चुके हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में 1-3 से सीरीज हारने की यादों को ताजा करने की जरूरत नहीं है. कैसे उन्होंने पर्थ में सीरीज में बढ़त बनाई, कैसे उन्होंने ब्रिसबेन में फालोऑन बचाने का जश्न मनाया, कैसे वे मेलबर्न में ड्रॉ से एक कदम दूर थे, कैसे सिडनी का नतीजा किसी भी तरफ जा सकता था अगर जसप्रीत बुमराह चोटिल न होते.

थोड़ा सा और अंदर जाएं तो आपको यह भी याद आएगा कि लंबे समय में पहली बार, किसी भारतीय टीम को देखकर यह निश्चित नहीं था कि वे 20 विकेट कम से कम समय में कैसे निकालेंगे. 2018 के बाद से, भारत का ध्यान 20 विकेट लेने पर रहा है, भले ही इसका मतलब बल्लेबाजों से ज्यादा काम करने के लिए कहना हो. उस समय कप्तान विराट कोहली इतने चतुर थे कि उन्होंने महसूस किया कि उनके गेंदबाज विपक्षी टीम को सस्‍ते में आउट कर रहे थे तो उन्‍हें खुद से और बाकी बल्‍लेबाजों से अधिक काम कराने की जरूरत नहीं थी.

रोहित शर्मा और राहुल द्रविड़ के नेतृत्व वाली टीम ने इसी फिलॉसोफी को जारी रखा. वास्तव में कप्तान के रूप में द्रविड़ पहले व्यक्ति थे जिन्होंने जब भी संभव हो पांच गेंदबाजों को खि‍लाने की कोशिश की. उन्होंने एक बार अतिरिक्त गेंदबाज को खि‍लाने के लिए वीवीएस लक्ष्मण को बाहर किया. उन्होंने अतिरिक्त खतरा पैदा करने के लिए इरफान पठान पर निवेश किया.

हालांकि, ऑस्ट्रेलिया में 2024-25 में भारत ने नंबर 7 के बाद कोई बल्लेबाजी न होने के डर से कभी भी चार तेज गेंदबाजों के साथ नहीं खेला. यह जानना मुश्किल है कि अगर शार्दुल ठाकुर नंबर 8 पर पूरी तरह से पुछल्ले नहीं, बल्कि अच्छी फार्म में होते और सर्जरी से बाहर नहीं आते तो XI की संरचना अलग होती या नहीं. फिर भी सीरीज में स्थायी थीम छह विकेट गिरने के बाद ढेर होने से बचना था. यहां तक ​​कि जब भारत ने पांचवां गेंदबाज खेलाया, तो वह वाशिंगटन सुंदर थे, जो हर तरह से सटीक बैठते है, खासकर स्पिनरों को खेल से बाहर करने के लिए डिजाइन की गई परिस्थितियों में भी.

जब तक आप उचित ऑलराउंडर नहीं खि‍ला पाते, तब तक पुछल्ले बल्लेबाजों से मिलने वाले अतिरिक्त रनों की सुविधा नाममात्र की होती है, जो कि आर अश्विन और रवींद्र जडेजा एशिया में बन जाते हैं. एशिया और वेस्टइंडीज के बाहर, जडेजा और अश्विन की गेंद के साथ उपयोगिता सीमित थी. उस उचित ऑलराउंडर की अनुपस्थिति में भारत ने अपने आक्रमण में गहराई और पैनापन करने को देखा.

बुमराह ने सीरीज में पैट कमिंस से कम ओवर फेंके, लेकिन उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के लिए कमिंस की तुलना में भारत के लिए अधिक ओवर फेंके. वह भी सिडनी टेस्ट में लगभग चूकने के बावजूद. लगातार स्पैल में लौटना थकान और आराम की लय को बाधित कर सकता है. उन्होंने भारत के 46% विकेट लिए. क्या हमें सीरीज के सबसे महत्वपूर्ण दृश्य की याद दिलानी चाहिए जब ऑस्ट्रेलिया मेलबर्न में तीसरी पारी में रन बना रहा था, और बुमराह ने आखिरकार कप्तान रोहित से कहा कि वह अब और मेहनत नहीं कर पा रहे हैं? अब वह इस बारे में अधिक समझदार होने जा रहे हैं और केवल तीन टेस्ट खेलेंगे.

उस समय जब बुमराह की ताकत खत्म हो गई थी, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने सभी पारियों के पहले 40 ओवरों में समान संख्या में विकेट 34 लिए थे. वास्तव में भारत ने बेहतर औसत और इकॉनमी रेट से ऐसा किया था. यहीं पर भारत की गेंदबाजी खत्म हो गई, ऑस्ट्रेलिया की पुरानी गेंद से दोगुनी औसत से भारत ने प्रति विकेट गेंदबाजी की. नीतीश कुमार रेड्डी ने पांच टेस्ट मैचों में सिर्फ 44 ओवर गेंदबाजी की, जिसने अनजाने में बल्‍ले से किए गए उनके अच्‍छे काम पर पानी फेर दिया.

यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि भारत का जीत-हार का रिकॉर्ड 6-7 था जब उसने 2018 से 2022 तक एशिया और वेस्टइंडीज के बाहर टेस्ट में चार तेज गेंदबाजों के साथ खेला और 5-10 का था जब उसने उनमें से तीन खेलाए.

उन प्रसिद्ध जीतों में से एक 2021 में ओवल में आई थी, जब भारत के पास पहली पारी में 191 रन पर आउट होने के बावजूद प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए अतिरिक्त गेंदबाजी थी और फिर भी ऋषभ पंत और ठाकुर के रूप में बल्लेबाजी में गहराई थी, जिसने भारत को तीसरी पारी में बड़ा स्‍कोर बनाने में मदद की.

चोट से उबरकर ठाकुर की वापसी और घरेलू क्रिकेट में 22.62 की औसत से 35 रणजी ट्रॉफी विकेट का प्रदर्शन भारत को कम से कम सीरीज की शुरुआत में पांच गेंदबाजों के साथ खेलने के लिए पर्याप्त कारण प्रदान करेगा. अतिरिक्त गेंदबाजी की आवश्यकता टीम प्रबंधन को प्रभावित कर चुकी है. खासकर तब जब बुमराह केवल तीन टेस्ट के लिए उपलब्ध हैं, जो इस बात की भरपाई करता है कि यह एक आसान दौरा है, क्‍योंकि क्रिस वोक्स के अलावा, लीड्स में इंग्लैंड की टीम में कोई भी तेज गेंदबाज पांच टेस्ट से अधिक नहीं खेला है. यह घर पर ऑस्ट्रेलियाई आक्रमण का सामना करने से बड़ी राहत होगी, और बल्लेबाजी को लेकर चिंता कम होगी.

हालांकि, इस बात की पूरी संभावना है कि इंग्लैंड ठाकुर को बाहर करने की कोशिश करेगा. जैसा कि उन्होंने 2022 में एजबस्टन में किया था, ताकि उन्हें 18-0-113-1 के मैच के जैसे आंकड़े मिल सकें. क्या वह चार तेज गेंदबाजों में से एक के तौर खेलते हैं जिसमें रेड्डी को शामिल नहीं करते हैं और वह किसी भी शुरुआती उलटफेर पर कैसे जवाब देते हैं, यह शुभमन गिल की कप्तानी की एक सच्ची परीक्षा होगी.

आरआर/