झारखंड हाईकोर्ट का राज्य सरकार को निर्देश, आधुनिक टेक्नोलॉजी के जरिए भूमि सर्वेक्षण का कार्य तेजी से पूरा करें

रांची, 17 जून . झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य की सरकार को भूमि सर्वेक्षण का कार्य आधुनिक टेक्नोलॉजी के जरिए तेजी से पूरा करने का निर्देश दिया है.

चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने मंगलवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से भूमि सर्वे नई टेक्नोलॉजी के जरिए अपडेट करने के कार्य की प्रगति पर जानकारी मांगी.

इस पर झारखंड सरकार की ओर से बताया गया कि भूमि सर्वेक्षण की नई टेक्नोलॉजी की जानकारी लेने और इसकी बारीकियां सीखने के लिए तीन टीमों को बिहार, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक भेजा जा रहा है. एक टीम ने हाल में आंध्र प्रदेश में भूमि सर्वे की टेक्नोलॉजी पर कॉन्फ्रेंस में भाग लिया है. इसके बाद झारखंड में भी आधुनिक तकनीक आधारित फॉर्मूले पर काम किया जाएगा.

कोर्ट ने कहा कि सरकार इस प्रक्रिया में तेजी लाए. इस मामले में अगली सुनवाई 16 सितंबर को निर्धारित करते हुए कोर्ट ने कार्य प्रगति से अवगत कराने का निर्देश दिया है. झारखंड में भूमि सर्वेक्षण कराने और इसके रिकॉर्ड को अपडेट करने की मांग को लेकर गोकुल चंद नामक शख्स ने जनहित याचिका दायर की है.

याचिका में कहा गया है कि वर्ष 1932 में भूमि का सर्वे हुआ था. इसके बाद झारखंड में 1975 से भूमि सर्वे की प्रक्रिया शुरू हुई थी, जो अब तक पूरी नहीं हो पाई है. भूमि का रिकॉर्ड अपडेट नहीं होने के कारण रैयतों को काफी परेशानी हो रही है और भूमि विवाद के मामले बढ़ रहे हैं.

पिछली सुनवाई में सरकार ने बताया था कि राज्य में सर्वे का काम चल रहा है. दो जिलों लातेहार व लोहरदगा में सर्वे पूरा हो गया है. अमीन के कई पद रिक्त हैं और सर्वे के लिए तकनीकी दक्षता वाले कर्मचारियों की कमी है, इसलिए सर्वेक्षण कार्य पूरा नहीं किया जा सका है.

इस पर कोर्ट ने भूमि राजस्व सुधार विभाग के प्रधान सचिव को शपथ पत्र दाखिल कर बताने को कहा था कि सर्वे का कार्य पूरा करने के लिए अमीन सहित अन्य कर्मियों की कब तक नियुक्ति कर ली जाएगी और इसकी पुरानी टेक्नोलॉजी को कब तक अपडेट किया जाएगा.

एसएनसी/पीएके/एबीएम