New Delhi, 16 जून . कर्नाटक में दोबारा जातिगत सर्वेक्षण के मामले पर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर हमला बोला है. भाजपा नेता और Union Minister भूपेंद्र यादव ने Monday को कहा कि किसी को उसके इतिहास से मुक्ति नहीं मिलती है, लेकिन वर्तमान में कांग्रेस की कथनी और करनी वैसी ही है. इसका ताजा उदाहरण कर्नाटक Government है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कर्नाटक को आइडियल स्टेट बताते रहते हैं, लेकिन कर्नाटक की उनकी Government का सर्वे बताता है कि सोशल जस्टिस कांग्रेस के लिए दिखावा है.
भूपेंद्र यादव ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ओबीसी वर्ग को झांसे में रखना कांग्रेस की नीति है, न्याय देना उनका काम नहीं है. देश में ओबीसी समाज के साथ छल करने का काम हमेशा से कांग्रेस ने किया है. कांग्रेस के मन में कभी सच्चाई होती तो काका कालेलकर कमीशन की रिपोर्ट के बाद कभी दूसरी रिपोर्ट सामने नहीं आई, क्योंकि फिर कोई कमीशन ही नहीं बनाया गया.
एक और उदाहरण देते हुए भूपेंद्र यादव ने कहा कि जब देश से कांग्रेस गई, तब मंडल आयोग लागू हुआ. मंडल आयोग की वैधानिकता को जब Supreme court ने स्वीकार किया, तब ओबीसी कमीशन को भी दंतहीन बनाने का काम कांग्रेस ने किया. पहले खुद कांग्रेस के सदस्य कहते थे कि जो ओबीसी कमीशन बनाया गया है, उसमें कोई ताकत नहीं.
उन्होंने कहा, “ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा तब मिला जब कांग्रेस की Government गई और Narendra Modi की Government आई. ओबीसी कमीशन को संवैधानिक आयोग का दर्जा मिला और आर्थिक कल्याणकारी नीतियों के चलते करोड़ों लोग गरीबी से बाहर हुए.”
भूपेंद्र यादव ने कहा, “कर्नाटक में कांग्रेस का झूठ उजागर हुआ है. राज्य में कांग्रेस का यह दोबारा सर्वे नहीं है, यह इनका पॉलिटिकल कवर है. कांग्रेस कुछ समुदायों को भड़काने और कुछ समुदायों को फायदा देने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस ने कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण को बढ़ाया. कांग्रेस की राजनीति उजागर हो चुकी है. ‘जितनी आबादी, उतना हक’ राहुल गांधी का यह नारा झूठा है.”
Union Minister ने सवाल किया, “कर्नाटक Government ने 165 करोड़ खर्च किए. अब फिर से सर्वेक्षण कराने की बात की है, तो इसका जिम्मेदार कौन है? कर्नाटक के Chief Minister कहते हैं कि दोबारा सर्वे कराने का फैसला आलाकमान का है, तो Government कौन चला रहा है? डी.के. शिवकुमार कुछ और कह रहे हैं. वह सर्वे की प्रक्रिया पर ही सवाल उठा रहे हैं.”
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डीसीएच/एकेजे