नई दिल्ली/हरिद्वार, 26 मई . रेडिको खेतान की ‘त्रिकाल’ व्हिस्की पर नाराजगी बढ़ती जा रही है. ‘त्रिकाल’ व्हिस्की को लेकर संत समाज से लेकर राजनेताओं तक ने नाराजगी जताई है. उन्होंने इसके खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है.
दरअसल, रेडिको खेतान द्वारा हाल ही में प्रीमियम व्हिस्की ‘त्रिकाल’ को लॉन्च किया गया है. संतों का कहना है कि ‘त्रिकाल’ शब्द सनातन धर्म से जुड़ा एक पवित्र और आध्यात्मिक अर्थ लिए हुए है, जिसे शराब जैसे उत्पाद के साथ जोड़ना पूरी तरह अनुचित है.
तीर्थ पुरोहित उज्ज्वल पंडित ने विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि यह हिंदू धर्म की आस्था का अपमान है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अगर कंपनी ने इस व्हिस्की का नाम तुरंत नहीं बदला, तो संत समाज सड़कों पर उतरकर उग्र आंदोलन करेगा. धर्म और संस्कृति से जुड़े शब्दों का इस प्रकार व्यावसायिक और भौतिक वस्तुओं से जुड़ना हमारी मान्यताओं को ठेस पहुंचाता है.
उन्होंने सभी कंपनियों से अपील की है कि वे सनातन धर्म की मर्यादा का सम्मान करें और भविष्य में इस तरह की चूक से बचें.
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय आलोक ने भी ‘त्रिकाल’ व्हिस्की नाम रखने की आलोचना की. उन्होंने कहा कि जिस भी कंपनी ने अपनी व्हिस्की का नाम त्रिकाल रखा है, यह बहुत ही गलत है. ऐसे नाम रखने से लोगों की भावना आहत होती है. मेरी गुजारिश है कि ऐसी कंपनी इसका नाम तुरंत बदले.
वहीं, विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, “यह बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण है. देश ही नहीं बल्कि दुनिया के अनेक स्थानों पर इस समय कभी चप्पलों पर, कभी जूते पर, कभी अंग वस्त्रों पर हिंदू देवी-देवताओं के चित्र, उनके प्रतीक और हमारे आस्था के केंद्रों को दर्शाने के लिए एक रिवाज चल पड़ा है. यह बेहद ही निंदनीय है. मैं भारत से बाहर के लोगों की मानसिकता को समझ सकता हूं, लेकिन ऐसा कोई ब्रांड अगर भारत में लॉन्च होता है और उसका नाम जो हमारी आध्यात्मिक परंपराओं और आस्था के केंद्रों से जुड़ा हुआ हो, तो मुझे लगता है कि इससे जो निर्माता हैं, जो प्रमोटर हैं या जो मार्केटिंग करने वाले लोग हैं, उन्हें थोड़ी सी सावधानी बरतनी चाहिए. मुझे आशा है कि जो ब्रांड आस्था के केंद्रों से जुड़े हुए हैं, खासकर अगर किसी शराब का ब्रांड या व्हिस्की का ब्रांड होता है, तो उसे समाज स्वीकार नहीं करेगा.”
अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष महंत विशाल दास महाराज ने कहा, “हमारे शास्त्रों में भगवान महाकाल को त्रिकाल दृष्टा कहा गया है. ऐसी घृणित चीज त्रिकाल के नाम से बनाना, यह भारतीय संस्कृति, सभ्यता और सनातन के विरुद्ध कार्य है. ऐसे कार्य के लिए हमारे वैदिक सनातन धर्म के धर्मावलंबी और अखाड़ा परिषद के लोग विरोध करते हैं. भगवान शिव के नाम को बदनाम होते हुए कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, कंपनी त्वरित कार्रवाई करते हुए इस नाम को हटाए या कुछ और नाम दें. व्यसन की चीजों को त्रिकाल नाम देकर भगवान महाकाल को बदनाम न करें. भगवान महाकाल की भृकुटि अगर टेढ़ी हो गई, तो आप, आपका व्यवसाय और यह शराब कुछ भी बच नहीं पाएगा, सब समाप्त हो जाएगा.”
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एफएम/केआर