नई दिल्ली, 25 मई . बांग्लादेश में एक बार फिर सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में कुछ भी ठीक दिखाई नहीं दे रहा है. इस बीच, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इलेक्शन, रिफॉर्म और जस्टिस की बात कर नई चर्चा को जन्म दे दिया है.
बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के आधिकारिक एक्स अकाउंट पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा, “शनिवार को राष्ट्रीय आर्थिक परिषद की कार्यकारी समिति की बैठक के बाद सलाहकार परिषद की एक अनशेड्यूल्ड (अनियोजित) बैठक हुई. दो घंटे की इस बैठक में अंतरिम सरकार के तीन मुख्य दायित्वों चुनाव, सुधार और न्याय पर विस्तृत चर्चा हुई.
मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद युनूस की अध्यक्षता में यह बैठक शेर-ए-बांग्ला नगर के योजना आयोग में हुई. परिषद ने चर्चा की है कि कैसे अनुचित मांगें, जानबूझकर उकसाने वाले और अधिकार क्षेत्र से बाहर के बयान और विघटनकारी कार्यक्रम सामान्य कार्य वातावरण में बाधा डाल रहे हैं और जनता में भ्रम व संदेह पैदा कर रहे हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “सलाहकार परिषद का मानना है कि राष्ट्रीय स्थिरता बनाए रखने, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने, न्याय और सुधार की आवश्यकता है. इसके साथ ही देश में तानाशाही की वापसी को स्थायी रूप से रोकने के लिए एकजुट होने की जरूरत है. इस मामले में, अंतरिम सरकार राजनीतिक दलों के विचार सुनेगी और अपनी स्थिति स्पष्ट करेगी. सभी बाधाओं के बावजूद, अंतरिम सरकार राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देकर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर रही है. हालांकि, अगर पराजित ताकतों के उकसावे या विदेशी साजिश के तहत ये जिम्मेदारियां निभाना असंभव हो जाता है, तो सरकार सभी कारण जनता के सामने रखेगी और फिर लोगों के साथ आवश्यक कदम उठाएगी. अंतरिम सरकार जुलाई विद्रोह की जनता की अपेक्षाओं का सम्मान करती है. लेकिन, अगर सरकार की स्वायत्तता, सुधार प्रयास, न्याय प्रक्रिया, निष्पक्ष चुनाव योजना, और सामान्य कार्यप्रणाली में इतनी बाधा डाली जाती है कि उसके कर्तव्यों का निर्वहन असंभव हो जाए, तो वह जनता के साथ मिलकर आवश्यक कदम उठाएगी.”
ढाका ट्रिब्यून ने मुख्य सलाहकार यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम के हवाले से चुनाव के संकेत दिए हैं. उनके बयान का जिक्र कर बताया है कि सभी दलों ने यूनुस के नेतृत्व में दिसंबर से जून के बीच चुनाव कराने की इच्छा जताई है. जमात-ए-इस्लामी ने इस समयसीमा का समर्थन किया, जबकि एनसीपी ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में निष्पक्ष चुनाव के लिए समान अवसर देना मुश्किल है और उन्होंने चुनाव आयोग के पुनर्गठन की मांग की.
इसके अलावा, शफीकुल ने बताया कि जुलाई में हुए नरसंहार के लिए मुकदमे की कार्यवाही इसी महीने शुरू हो सकती है. बीएनपी ने सलाहकार परिषद के कुछ सदस्यों के इस्तीफे का मुद्दा भी उठाया.
बीते दिनों मोहम्मद यूनुस को लेकर ऐसी चर्चाओं ने जोर पकड़ा कि वह मुख्य सलाहकार के पद से इस्तीफा दे सकते हैं. हालांकि, बाद में उन्होंने इसकी पुष्टि से इनकार कर दिया.
बता दें बांग्लादेश में अगस्त 2024 में तत्कालीन पीएम शेख हसीना को बड़े पैमाने पर हो रहे विरोध प्रदर्शन के चलते देश छोड़कर भारत आने पर मजबूर होना पड़ा था. इसके बाद से बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों पर कथित हमलों की कई खबरें सामने आईं. इतना ही नहीं, मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में स्थापित अंतरिम सरकार पर अल्पसंख्यकों को सुरक्षा न दे पाने के आरोप भी लगते रहे हैं.
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एफएम/केआर