झारखंड में जेपीएससी मुख्य परीक्षा के रिजल्ट पर भाजपा ने उठाया सवाल, कहा- आरक्षित श्रेणियों का उल्लेख क्यों नहीं?

रांची, 24 मई . झारखंड लोक सेवा आयोग की ओर से सिविल सेवा मुख्य परीक्षा के हाल में जारी परिणाम पर विवाद खड़ा हो गया है. भारतीय जनता पार्टी ने परीक्षा के 11 महीने बाद प्रकाशित किए गए रिजल्ट में आरक्षित कोटे का उल्लेख न किए जाने को गंभीर मामला बताया है.

पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने शनिवार को प्रदेश मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के संविधान का आर्टिकल 15 एवं 16 एससी, एसटी, ओबीसी वर्गों को आरक्षण की सुविधा प्रदान करता है. इसके अतिरिक्त ईडब्ल्यूएस एवं अन्य श्रेणियों में भी आरक्षण का प्रावधान है. परंतु जेपीएससी ने बिल्कुल सपाट तरीके से किसी लॉटरी के परिणाम की तरह परीक्षा का रिजल्ट निकाल दिया है.

उन्होंने कहा कि यह पता नहीं चल पा रहा कि एससी, एसटी, ओबीसी एवं अन्य आरक्षित वर्गों को निर्धारित कोटा मिला और ढाई गुना से ज्यादा विद्यार्थियों को इंटरव्यू में बुलाने की प्रक्रिया का पालन हुआ है कि नहीं? भाजपा नेता ने कहा कि जेपीएससी अगर आरक्षण के श्रेणी वार कोटा को स्पष्ट करते हुए परिणाम निकालता तो सिस्टम में पारदर्शिता दिखती. उम्मीदवारों को भी स्पष्ट होता कि उनकी मेरिट में क्या स्थिति है.

प्रतुल शाहदेव ने कहा कि कार्मिक विभाग ने 19 दिसंबर, 2023 को गजट नोटिफिकेशन के अंतर्गत झारखंड कंबाइंड सिविल सर्विस एग्जामिनेशन रूल्स 2023 को लागू किया था. इस अधिसूचना में ही यह स्पष्ट किया गया है कि अलग-अलग वर्गों के लिए अलग-अलग कट ऑफ मार्क्स होगा. इन वर्गों में एससी, एसटी, महिला, अति पिछड़ा वर्ग एनेक्सचर 1, पिछड़ा वर्ग एनेक्सचर 2, आदिम जनजाति और ईडब्ल्यूएस शामिल हैं.

उन्होंने जेपीएससी की अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा कि मुख्य परीक्षा के लिखित परिणाम में हर कैटेगरी के ढाई गुना से ज्यादा अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाए जाने का प्रावधान है. आवश्यकता पड़ने पर कट ऑफ मार्क्स को भी कम करने का प्रावधान दिया गया है, लेकिन जेपीएससी द्वारा प्रकाशित रिजल्ट में किसी भी श्रेणी का उल्लेख नहीं है. इस वजह से यह संदेह उत्पन्न होता है कि आरक्षित वर्गों को उनका हक मिल पाया या नहीं? उन्होंने कहा कि क्या इस बार फिर झारखंड से बाहर के लोगों का ज्यादा संख्या में चयन हो गया? भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर संज्ञान लेना चाहिए, अन्यथा एक बार फिर से जेपीएससी की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में आ जाएगी.

एसएनसी/एएस