जम्मू, 23 मई . जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में शुक्रवार को सुरक्षा बलों की ओर से आतंकवादियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन जारी है. फिलहाल गोलीबारी की कोई खबर नहीं आई है.
सुरक्षा बलों ने गुरुवार सुबह किश्तवाड़ जिले के सिंहपोरा चटरू इलाके में छिपे हुए 3 से 4 आतंकवादियों के एक समूह के खिलाफ अभियान शुरू किया.
संयुक्त बलों और आतंकवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में एक जवान शहीद हुआ था, तो वहीं, दो अन्य जवान घायल हो गए.
सेना के नगरोटा मुख्यालय व्हाइट नाइट कोर ने शुक्रवार को एक्स पर कहा, “चीफ ऑफ स्टाफ ने बहादुर सिपाही गायकर संदीप पांडुरंग को श्रद्धांजलि दी. पोस्ट में आगे लिखा गया कि जवान का साहस और बलिदान सैनिकों की पीढ़ियों को प्रेरित करेगा.”
अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि गुरुवार शाम को गोलीबारी बंद हो गई थी तथा उसके बाद कोई गोलीबारी नहीं हुई.
अधिकारियों ने बताया, “घने जंगल में छिपे आतंकवादियों को पकड़ने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह, सेना और अर्धसैनिक बलों ने संयुक्त रूप से बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया. अतिरिक्त जवानों को तैनात किया गया है और आतंकवादियों को पकड़ने के लिए अभियान जारी है.”
जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नलिन प्रभात ने भी सिंहपोरा-चटरू क्षेत्र का दौरा किया, जहां वर्तमान में एक बड़ा आतंकवाद-रोधी अभियान चल रहा है. डीजीपी प्रभात ने सभी सुरक्षा एजेंसियों के बीच तालमेल की सराहना की और निरंतर और केंद्रित अभियानों के माध्यम से क्षेत्र में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस की अटूट प्रतिबद्धता की भी सराहना की.
ज्ञात हो कि संयुक्त बल जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों, उनके ओवरग्राउंड कार्यकर्ताओं (ओजीडब्ल्यू) और समर्थकों के खिलाफ आक्रामक अभियानों में शामिल रहे हैं. ये अभियान 22 अप्रैल के बाद और तेज हो गए, जब लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकवादियों ने धर्म के आधार पर पर्यटकों और एक स्थानीय सहित 26 नागरिकों की हत्या कर दी.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद, पाकिस्तान ने जवाब में जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर नागरिक सुविधाओं को निशाना बनाकर भारी मोर्टार गोलाबारी की.
पाकिस्तानी गोलाबारी में कम से कम 200 घर और दुकानें नष्ट हो गईं, जबकि सैकड़ों सीमावर्ती निवासियों को अपने गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
सीमावर्ती निवासी अभी भी पूरी तरह से अपने घरों में वापस नहीं लौटे हैं, क्योंकि सुरक्षा बल अभी भी पुंछ, राजौरी, बारामूला और कुपवाड़ा जिलों में बिना फटे पाकिस्तानी गोलाबारी को निष्क्रिय करने में लगे हैं.
12 जून को दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच समझौता होने के बाद भारत ने संघर्ष विराम पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि इस समझौते का सम्मान तभी तक किया जाएगा, जब तक पाकिस्तान अपनी धरती पर भारत के खिलाफ किसी भी आतंकवादी गतिविधि की अनुमति नहीं देता.
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डीकेएम/केआर