ग्रेटर नोएडा, 14 मई . ग्रेटर नोएडा के खैरपुर गुर्जर गांव में लीज बैक से जुड़े जमीनी प्रकरणों की जांच तेजी से चल रही है. यमुना प्राधिकरण के सीईओ और एसआईटी अध्यक्ष डॉ. अरुणवीर सिंह ने हाल ही में खैरपुर गुर्जर गांव का दौरा कर मौके पर निरीक्षण किया.
उन्होंने कहा कि गांव के कुल 84 विवादित प्रकरणों की जांच लगभग पूरी हो चुकी है और जल्द ही इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी.
गौरतलब है कि खैरपुर गुर्जर गांव में 86 प्रकरण ऐसे थे, जिनमें भूमि विवाद, किराएदारों की स्थिति, बिकी हुई जमीन और अन्य संपत्ति संबंधित जटिलताएं थीं. एसआईटी ने इन सभी मामलों में साक्ष्य जुटाए हैं और किसानों के बयान भी दर्ज किए गए हैं, ताकि रिपोर्ट निष्पक्ष और तथ्यों पर आधारित हो.
एसआईटी की कार्रवाई 2021 में शुरू हुई थी, जिसमें ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के कुल 1,451 प्रकरणों की जांच की रिपोर्ट पहले ही शासन को भेजी जा चुकी है. इनमें से कई मामलों में लीज बैक की अनुमति भी मिल चुकी है.
अब तक 533 प्रकरणों में से 355 मामलों की जांच रिपोर्ट शासन तक पहुंचाई जा चुकी है. खैरपुर गुर्जर गांव की जांच रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है और एसआईटी की यह रिपोर्ट भी जल्द शासन को भेजी जाएगी.
बुधवार को ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी कार्यालय में किसानों के साथ बैठक भी आयोजित की गई, जिसमें किसानों की समस्याएं सुनी गईं और उन्हें जांच की स्थिति की जानकारी दी गई.
डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि शासन की ओर से दिए गए निर्देशों के अनुसार पूरी पारदर्शिता के साथ जांच की जा रही है. लीज बैक से जुड़े विवादों का समाधान समयबद्ध तरीके से किया जा रहा है, जिससे किसानों को जल्द न्याय मिल सके.
गौरतलब है कि यमुना प्राधिकरण को खैरपुर गुर्जर गांव में लीज बैक से जुड़ी समस्याओं का सामना लंबे समय से करना पड़ रहा है, विशेष रूप से किसानों को उनकी आबादी भूमि लौटाने की प्रक्रिया को लेकर. औद्योगिक विकास के लिए अधिग्रहीत की गई इस भूमि को लेकर प्राधिकरण पर देरी के आरोप लग रहे हैं, जिससे किसानों में नाराजगी है.
यमुना प्राधिकरण ने नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट सहित विभिन्न औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए क्षेत्र की अन्य विकास प्राधिकरणों (नोएडा, ग्रेटर नोएडा) की तरह गांवों की भूमि का अधिग्रहण किया है. इसमें खैरपुर गुर्जर जैसे गांवों की आबादी भूमि भी शामिल है, जहां किसान वर्षों से निवास कर रहे थे.
इन गांवों के किसान अपनी आबादी भूमि की वापसी या उसके बदले वैकल्पिक आवासीय भूखंड की मांग कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि उनकी आजीविका और रहन-सहन का आधार यही भूमि है.
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पीकेटी/एबीएम/एएस