केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कठुआ में सीमावर्ती क्षेत्रों का किया दौरा

कठुआ, 13 मई . भारत-पाक के बीच तनाव के बाद सीजफायर लागू हो गया है. ऐसे में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने स्थिति का आकलन करने के लिए जम्‍मू-कश्‍मीर के कठुआ के सीमावर्ती जिले हीरानगर का दौरा किया. उन्‍होंने सीमावर्ती जिले के निवासियों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ अपनी बैठक के दौरान स्थानीय समुदायों की ओर से उठाई गई प्रमुख चिंताओं को संबोधित किया और सीमावर्ती क्षेत्रों में 600 नए बंकरों के निर्माण की घोषणा भी की.

इन नए बंकरों के निर्माण का उद्देश्य सुरक्षा को बढ़ाना और संकट के समय वहां के निवासियों के लिए बेहतर आश्रय प्रदान करना है.

डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र को बेहतर बनाने के लिए कठुआ जिले में एक केंद्रीकृत अलर्ट सिस्टम विकसित किया जा रहा है. इस सिस्टम के तहत डिप्टी कमिश्नर के कार्यालय से एक बटन दबाया जाएगा, जिससे सीमावर्ती गांवों में तुरंत सायरन बजने लगेंगे. इससे स्थानीय निवासियों को समय पर चेतावनी मिल सकेगी.

भारत के मजबूत रक्षा बुनियादी ढांचे के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने साल 2014 के बाद से भारत की रक्षा क्षमताओं और तकनीकी विकास में हुई प्रगति पर जोर दिया और किसी भी सुरक्षा खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए देश की तैयारियों को रेखांकित किया.

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि हम पाकिस्‍तान से लगती हुई सीमा रेखा के न‍जदीक खड़े हैं. पिछली गैर भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि यही वह इलाका है, जहां पर सड़कें नहीं हुआ करती थी. बच्‍चों को पढ़ाई के लिए सुविधा नहीं मिलती थी, मोबाइल के टावर नहीं हुआ करते थे. कांग्रेस सरकार से जब कहा जाता था तो कहते थे कि यह हमारी नीति में नहीं है. उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद जीरो लाइन तक सड़कें बना दी गई हैं. यहां के स्‍थानीय लोग भी कहते हैं कि सड़कें हाईवे से भी बेहतर बनी हैं.

उन्‍होंने आगे कहा कि यह सारी सुविधाएं अब काम में आती दिख रही हैं. देश में पहली बार कठुआ में बॉर्डर बंकर का प्रयोग किया गया है. दो हजार आधुनिक बंकर बनाए गए थे. यहां फैमिली बंकर बनाए गए हैं. यह सब काम पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद संभव हो पाया है. 2014 से पहले का दृश्‍य जिन्‍होंने देखा है वो इसकी तुलना कर सकते हैं. यही कारण था कि इस बार यहां के लोगों का मनोबल इन विपरीत परिस्थितियों में भी ऊंचा था.

एएसएच/जीकेटी