मुंबई, 13 मई . भारत का रिटेल सेक्टर एक बड़े बदलाव से गुजर रहा है, इस बदलाव के साथ 2025 और 2026 में शीर्ष सात शहरों से 16.6 मिलियन वर्ग फुट से अधिक नए ग्रेड ए मॉल स्पेस पेश होने की उम्मीद है. यह जानकारी मंगलवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई.
एनारॉक रिसर्च के संकलित आंकड़ों के अनुसार, यह उछाल बढ़ती उपभोक्ता मांग और रिटेल लीजिंग में मजबूत गति की वजह से देखा जा रहा है. एक्सपर्ट्स इसे रिटेल सेक्टर के लिए ‘स्वर्णिम युग’ के रूप में देख रहे हैं.
हैदराबाद और दिल्ली-एनसीआर इस सप्लाई उछाल का नेतृत्व करेंगे, जो आगामी मॉल स्पेस का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा होगा.
यह इन शहरों में उच्च-विकास खपत केंद्रों की ओर बदलाव को दर्शाता है.
यह विस्तार व्यापक रिटेल रियल एस्टेट पाइपलाइन का हिस्सा है, जिसके तहत 2029 तक पूरे भारत में 40 मिलियन वर्ग फुट से अधिक नए रिटेल स्पेस जोड़े जा सकते हैं.
एनारॉक रिटेल के सीईओ और एमडी अनुज केजरीवाल ने कहा कि हाल के वर्षों में क्वालिटी सप्लाई की कमी के कारण भी मॉल के अधिक विकास पर जोर दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा, “2022 में शीर्ष शहरों में केवल 2.6 मिलियन वर्ग फुट नई सप्लाई देखी गई, जबकि लीजिंग 3.2 मिलियन वर्ग फुट पर पहुंच गई. इसी तरह, 2023 में, नई सप्लाई 5.3 मिलियन वर्ग फुट थी, लेकिन लीजिंग 6.5 मिलियन वर्ग फुट पर और भी अधिक थी.”
आम और राज्य चुनावों से जुड़ी धीमी स्वीकृति प्रक्रियाओं के कारण 2024 में सप्लाई की कमी और अधिक स्पष्ट हो गई.
केजरीवाल ने कहा, “उस वर्ष, केवल 1.1 मिलियन वर्ग फुट नए मॉल स्पेस बाजार में आए, जबकि लीजिंग मांग 6.5 मिलियन वर्ग फुट पर स्थिर रही.”
रिपोर्ट का अनुमान है कि 2025 और 2026 में शीर्ष शहरों में 12.6 मिलियन वर्ग फुट से अधिक मॉल लीजिंग एक्टिविटी होगी.
यह डेवलपर्स और रिटेलर्स दोनों की मजबूत रुचि को दर्शाता है, जो सकारात्मक उपभोक्ता भावना और संगठित रिटेल स्पेस की चल रही मांग से उत्साहित हैं.
पिछले चार वर्षों में भारत में 60 से अधिक अंतरराष्ट्रीय खुदरा ब्रांडों का प्रवेश भी इस मांग के पीछे एक बड़ा कारण है.
ये ब्रांड फैशन, इलेक्ट्रॉनिक्स, लाइफस्टाइल और फूड एंड बेवरेज में फैले हुए हैं और वे सक्रिय रूप से हाई-फुटफॉल मॉल और हाई स्ट्रीट में उपस्थिति की तलाश कर रहे हैं.
नतीजतन, मॉल वैकेंसी रेट, जो 2021 में 15.5 प्रतिशत पर पहुंच गई थी, 2025 में लगभग 8.2 प्रतिशत और 2026 में 8.5 प्रतिशत पर स्थिर होने की उम्मीद है.
रिटेल सेक्टर में मौजूदा वृद्धि की डिमांड प्रमुख मेट्रो शहरों से आगे भी फैल रही है. बढ़ती डिस्पोजेबल आय, बेहतर इंटरनेट एक्सेस और बढ़ते ईकॉमर्स अपनाने के कारण टियर 2 और टियर 3 शहर महत्वपूर्ण खुदरा गंतव्य बन रहे हैं. वास्तव में, ये छोटे शहर अब भारत में ऑनलाइन शॉपिंग के बहुमत हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में ऑनलाइन शॉपर्स की संख्या 2020 में 140 मिलियन से बढ़कर 2024 में लगभग 260 मिलियन हो गई है और 2030 तक 300 मिलियन और 2035 तक 700 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है.
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एसकेटी/एबीएम