नई दिल्ली, 10 मई . सरकारी स्वामित्व वाली इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल) ने वित्त वर्ष 2025 में 2,165 करोड़ रुपए का प्रॉफिट आफ्टर टैक्स (पीएटी) हासिल किया है, जो पिछले वित्त वर्ष 2024 के 1,552 करोड़ रुपए से 39 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्शाता है.
यह वृद्धि कंपनी की प्रभावशाली वित्तीय गति को जारी रखती है, जिसमें पीएटी वित्त वर्ष 2020 में इसके प्रदर्शन की तुलना में लगभग 42 गुना बढ़ गया है.
आईआईएफसीएल के प्रबंध निदेशक डॉ. पी.आर. जयशंकर ने परिणामों की घोषणा करते हुए कहा कि कंपनी ने लगातार पांचवें वर्ष अपना सर्वश्रेष्ठ वार्षिक प्रदर्शन किया है.
आईआईएफसीएल का प्रॉफिट बिफोर टैक्स (पीबीटी) भी 2,776 करोड़ रुपए के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष के 2,029 करोड़ रुपए से लगभग 37 प्रतिशत अधिक है.
कंपनी ने वर्ष के दौरान मंजूरी (सैंक्शन्स) और वितरण (डिस्बर्समेन्ट्स) दोनों में मजबूत वृद्धि दिखाई है. आईआईएफसीएल ने वित्त वर्ष 2025 में रिकॉर्ड 51,124 करोड़ रुपए मंजूर किए और 28,501 करोड़ रुपए वितरित किए, जो क्रमशः सालाना आधार पर लगभग 21 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है.
ये आंकड़े पिछले वर्ष के प्रदर्शन से आगे निकल गए, जिसमें मंजूरी में 42,309 करोड़ रुपए और वितरण में 22,356 करोड़ रुपए थे.
आईआईएफसीएल की मार्च 2025 के अंत तक संचयी मंजूरी और वितरण क्रमशः 3.06 लाख करोड़ रुपए और 1.56 लाख करोड़ रुपए थे. इनमें से लगभग 55 प्रतिशत लक्ष्य केवल पिछले पांच वर्षों में प्राप्त किए गए हैं.
कंसोलिडेटेड आधार पर संचयी मंजूरी और वितरण क्रमशः लगभग 3.53 लाख करोड़ रुपए और 1.79 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गए.
आईआईएफसीएल ने अपने वित्तीय आधार को भी मजबूत किया, वित्त वर्ष 2025 में इसकी नेट वर्थ 15 प्रतिशत बढ़कर 16,395 करोड़ रुपए हो गई, जबकि एक साल पहले यह 14,266 करोड़ रुपए थी और वित्त वर्ष 2020 में 10,306 करोड़ रुपए से लगभग 59 प्रतिशत अधिक थी.
इस वृद्धि ने आईआईएफसीएल की लेंडिंग क्षमता और एक्सपोजर लिमिट को बढ़ाकर कंपनी के बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को फंड देने की क्षमता को बल दिया है.
महत्वपूर्ण बात यह है कि आईआईएफसीएल ने परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार करने में भी प्रगति की है.
कंपनी ने 31 मार्च तक अपना ग्रॉस एनपीए अनुपात घटाकर 1.11 प्रतिशत कर दिया, जो पिछले साल के 1.61 प्रतिशत से कम है और मार्च 2020 के 19.70 प्रतिशत से भी कम है.
नेट एनपीए घटकर मात्र 0.35 प्रतिशत रह गया, जबकि पिछले साल यह 0.46 प्रतिशत और पांच साल पहले 9.75 प्रतिशत था.
‘ए’ और उससे ऊपर की रेटिंग वाली परिसंपत्तियों का हिस्सा बढ़कर लगभग 93 प्रतिशत हो गया, जो उच्च गुणवत्ता वाले ऋण को बनाए रखने पर कंपनी के फोकस को दर्शाता है.
आईआईएफसीएल एक सरकारी स्वामित्व वाली वित्तीय संस्था है, जो भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लॉन्ग-टर्म फाइनेंसिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए डेडिकेटेड है.
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