मुंबई, 8 मई . नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने गुरुवार को उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया, जिसमें यह दावा किया गया कि इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) पर भारतीय विनिमय एवं प्रतिरोध बोर्ड (सेबी) के गतिरोध को समाप्त करने के लिए सरकार से संपर्क किया था.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में एक्सचेंज ने इस दावे का स्पष्ट रूप से खंडन किया कि उसने सहायता के लिए सरकार से संपर्क किया था.
मीडिया रिपोर्ट का खंडन करने के साथ एनएसई ने कहा, “पिछले 30 महीनों में भारत सरकार के साथ आईपीओ के संबंध में कोई पत्राचार नहीं किया गया है.”
एक्सचेंज का यह बयान एक मीडिया रिपोर्ट के जवाब में आया है जिसमें अज्ञात सूत्रों का हवाला देते हुए दावा किया गया था कि एनएसई ने हाल ही में वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर अपने आईपीओ में आ रही नियामक बाधाओं को दूर करने में मदद करने का अनुरोध किया था.
रिपोर्ट में दावा किया गया कि एनएसई ने यह पत्र सेबी द्वारा मार्च में लिस्टिंग के लिए आवश्यक एनओसी के लिए दिए गए नवीनतम आवेदन को अस्वीकार किए जाने के बाद भेजा गया है.
रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इससे पहले एक्सचेंज ने अगस्त 2024 में सरकार से संपर्क किया था. वहीं 2020 में दो बार और 2019 में भी आईपीओ के लेकर सरकार से संपर्क किया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, एनएसई के पत्र में मंत्रालय से आग्रह किया गया है कि वह सेबी के नवनियुक्त चेयरमैन के साथ मिलकर नियामक द्वारा उठाई गई चिंताओं का समाधान करे, जिसमें शासन संबंधी मुद्दे और शीर्ष अधिकारियों की नियुक्ति शामिल है.
रिपोर्ट में कहा गया है, “पत्र में वित्त मंत्रालय से अनुरोध किया गया है कि वह एनएसई के लंबित आईपीओ प्रस्ताव के संबंध में सेबी द्वारा उठाई गई चिंताओं को दूर करने के लिए नवनियुक्त सेबी अध्यक्ष के साथ बातचीत करे.”
रिपोर्ट में कहा गया है कि एनएसई ने पत्र में सेबी द्वारा उठाई गई चिंताओं को खारिज कर दिया है. स्टॉक एक्सचेंज ने दावा किया है कि वह नियामक के सभी नियमों का पालन कर रहा है. पत्र में सेबी पर महत्वपूर्ण मंजूरियों में देरी करने का भी आरोप लगाया है.
रिपोर्ट के अनुसार, एनएसई ने आगे कहा कि सेबी के हालिया नीतिगत फैसले अनुचित थे. इन फैसलों से एनएसई को अपने प्रतिद्वंद्वी एक्सचेंज बीएसई से ज्यादा नुकसान हुआ है.
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