मुंबई, 4 मई . जातिगत जनगणना कराए जाने के फैसले को लेकर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने केंद्र सरकार की तारीफ की है और इसे लाभकारी बताया है.
पूर्व गृह राज्य मंत्री और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने समाचार एजेंसी से खास बातचीत में कहा कि यह कदम ओबीसी और अति-पिछड़ा समाज के लिए बेहद लाभकारी साबित होगा. लंबे समय से चली आ रही मांग को मोदी सरकार ने गंभीरता से लेते हुए यह निर्णय लिया है.
अहीर ने कहा कि ओबीसी वर्ग में क्रीमीलेयर और नॉन क्रीमीलेयर का वर्गीकरण है. नॉन क्रीमीलेयर में आने वाली अति पिछड़ी जातियों को इस जनगणना से सीधा लाभ मिलेगा.
उन्होंने स्पष्ट किया कि जनगणना के जरिए उन जातियों की पहचान की जा सकेगी, जिन्हें अब तक पर्याप्त लाभ नहीं मिला.
उन्होंने यह भी कहा, “हम यह सुझाव देंगे कि कुछ जातियों को सूची से हटाया जाए और कुछ को जोड़ा जाए, ताकि असली जरूरतमंदों तक सुविधाएं पहुंच सकें.”
हंसराज अहीर ने इस बात पर संतोष जताया कि अब केंद्र ने ओबीसी आयोग को निर्णय लेने की शक्तियां दी हैं, जिससे आयोग अधिक प्रभावी तरीके से काम कर सकेगा.
उन्होंने कहा, “50 प्रतिशत आबादी ओबीसी वर्ग से आती है, ऐसे में यह कदम बेहद जरूरी था.”
उन्होंने कहा कि विपक्ष के बेतुके बयान देश को कमजोर करते हैं. सरकार की नीयत साफ है. वह ओबीसी और पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है. जो जातियां अब आगे हो चुकी हैं, उन्हें हटाने का भी प्रावधान होना चाहिए.
पूर्व मंत्री ने कहा, “यह सही है कि इस जनगणना के बाद, हम सुझाव दे सकते हैं कि कुछ जातियों को इससे हटा दिया जाना चाहिए और कुछ को जोड़ा जाना चाहिए, ताकि उन जातियों को लाभ मिल सके, जिन्हें सबसे अधिक आवश्यकता है.”
उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना के परिणाम भविष्य की नीतियों का मार्गदर्शन करेंगे और आयोग को साक्ष्य-आधारित सुझाव देने की अनुमति देंगे.
अहीर ने दोहराया कि सरकार ने सही दिशा में कदम उठाया है और इससे समाज के वंचित वर्गों को बड़ा लाभ मिलेगा.
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डीएससी/एबीएम